तन-मन को पूरे दिन जगाए रखने के लिए ठीक से सोना है जरूरी, नींद की कमी से बढ़ रहे तनाव, अवसाद के मामले
अनियमित दिनचर्या के कारण अधिकांश लोगों को देर रात तक जागने की आदत पड़ गई है और इसका हमारी सेहत पर भी बुरा असर होता है। नींद के लिए सोने का आदर्श समय हर व्यक्ति की जीवन शैली और कार्यक्रम के आधार पर भिन्न हो सकता है। एक व्यस्क व्यक्ति को रोज रात में कम से 7 से 9 घंटे की नींद जरूर लेना चाहिए।
HIGHLIGHTS
- ज्यादातर लोग अपने काम को प्राथमिकता देते हुए अक्सर अपनी नींद से कर रहे समझौता ।
- मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रोज़ाना सात से आठ घंटे की पूरी नींद लेना आवश्यक।
- नींद की कमी केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि कई बार यह सड़क दुर्घटनाओं का भी कारण।
बिलासपुर। भागदौड़ भरी जिंदगी और तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच लोग अपने काम को प्राथमिकता देते हुए अक्सर अपनी नींद से समझौता कर रहे हैं। लगातार नींद की कमी का असर न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि यह शारीरिक बीमारियों का भी कारण बन सकता है।
मनोरोग विशेषज्ञ डा. अनिल यादव कहते हैं कि इस तरह के मामलों में तेजी देखी गई है। बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों से भी ऐसे युवा परामर्श के लिए पहुंच रहे हैं, जहां युवाओं को स्लीप एप्निया, इंसोम्निया जैसी बीमारियां परेशान कर रही हैं। वह कहते हैं कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रोज़ाना सात से आठ घंटे की पूरी नींद लेना आवश्यक है। नींद के अभाव में लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है असर
लगातार नींद की कमी से अवसाद, चिंता और मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ने लगती हैं। वहीं शारीरिक रूप से भी लोग सुस्ती, थकान महसूस करने लगते हैं। डा. अनिल बताते हैं कि नींद की कमी हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देती है, जिससे हृदय रोग और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
वजन बढ़ने का कारणों में एक नींद की कमी
वजन बढ़ने का एक प्रमुख कारण भी नींद की कमी है, क्योंकि यह शरीर की मेटाबालिज्म प्रक्रिया को प्रभावित करती है और शरीर में भूख नियंत्रक हार्मोन पर असर डालती है। इसके साथ ही नींद की कमी केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि कई बार यह सड़क दुर्घटनाओं का भी कारण बनती है।