Seasonal Diseases: ठंड में 40 से 50 फीसदी बढ़ जाता है बच्चों में निमोनिया का खतरा

ठंड में बच्चों में निमोनिया का खतरा 40 से 50 फीसदी बढ़ जाता है।प्रदेश में साल में 17 हजार बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। ओपीडी में ठंड के समय निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में इजाफा हो जाता है। रोजाना 40 से 50 बच्चे उपचार के लिए पहुंचते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. 17000 से ज्यादा बच्चों की मौत प्रदेश में निमोनिया से होती है
  2. डाक्टर का कहना – सर्दी-खांसी, बुखार को हल्के में न लें
  3. ओपीडी में रोजाना 40 से 50 बच्चे उपचार के लिए पहुंचते हैं

 ग्वालियर। ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इससे बच्चों में निमोनिया का खतरा 40 से 50 फीसदी बढ़ जाता है। इसकी सही समय पर पहचान करके इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में साल में 17 हजार बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। जेएएच के बाल एवं शिशु रोग विभाग की ओपीडी में ठंड के समय निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में इजाफा हो जाता है। रोजाना 40 से 50 बच्चे उपचार के लिए पहुंचते हैं। इनमें से चार से पांच बच्चों को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है।

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ठंड के समय मौसम अचानक बदलने से फेफड़ों में होने वाले एक तरह के संक्रमण से सांस लेने में परेशानी होती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। चिकित्सक इसे ही निमोनिया कहते हैं। अगर निमोनिया के लक्षण बच्चों या बुजुर्गों में दिखें तो तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस बार भी सांस अभियान का आयोजन 12 नवंबर से 28 फरवरी 2025 तक किया जाएगा।

दस्तक अभियान में निमोनिया से पीड़ित मिले 228 बच्चे

स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए गए दस्तक अभियान में निमाेनिया से पीड़ित 228 बच्चे मिले थे। जिनको उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। डबरा क्षेत्र में 12, भितरवार 35, मुरार 118 व घाटीगांव ब्लाक में 63 बच्चे मिले थे। सबसे ज्यादा बच्चे मुरार ब्लाक में पीड़ित मिले।

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निमोनिया के लक्षण

  • तेज बुखार
  • खांसी आना
  • सांस का तेज तेज चलना
  • पसली तेज चलना

बच्चों का बचाव कैसे करें

  • समय पर बच्चे का टीकाकरण कराएं। निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) के तीन टीके लगाए जाते हैं।
  • सफाई का ध्यान रखें। कीटाणु को फैलने से रोकें, बच्चों के हाथों बार-बार साफ करते रहें
  • खांसते और छींकते समय बच्चे की नाक और मुंह पर रुमाल या कपड़ा रखें।
  • बच्चे को प्रथम छह माह तक मां का ही दूध दें। मां का दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। इसमें एंटीबाडीज होती हैं जो बच्चे को रोगों से लड़ने में मदद करती है।
  • सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं, ठंडी हवा से बचाव के लिये कान को ढंके, पैरों के गर्म मोजे पहनाएं।
  • नंगे पैर ना घूमने दें। ठंडे पानी से दूर रखें।

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