विश्व निमोनिया दिवस 2024 : जबलपुर के अंचल में नवजात की मौत में यह प्रमुख कारण, वृद्धों में भी मिल रहा संक्रमण
मध्य प्रदेश के जबलपुर व आसपास के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों में जांच में कुपोषित बच्चे अभी भी मिल रहे हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण फेफड़े तक सरलता से रोगाणु पहुंच जाते हैं। मेडिकल, विक्टोरिया और एल्गिन हास्पिटल की ओपीडी में प्रतिदिन निमोनिया के मामले देखे जा रहे है। जागरुकता के अभाव में कई माता-पिता बच्चे में निमोनिया के लक्षण को शीघ्र पहचान नहीं पाते हैं।
HIGHLIGHTS
- बच्चों की जिंदगी संकट में डाल रहा निमोनिया, कुपोषण बढ़ा और खतरा।
- चिकित्सक बोले- सतर्कता, पौष्टिक आहार, उचित उपचार से बचाव संभव।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बच्चों की मृत्यु का प्रमुख निमोनिया को मानता है।
जबलपुर (World Pneumonia Day 2024)। नगर के सरकारी अस्पतालों में खांसी, बुखार के साथ श्वास लेने की समस्या से पीड़ित छोटे बच्चे लगातार आ रहे है। इन्हें निमोनिया होता है। कुछ पीड़ित इतनी गंभीर स्थिति में भर्ती होते है कि उपचार के दौरान उनकी मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी पांच वर्ष के कम आयु के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख निमोनिया को मानता है। अंचल के छोटे बच्चों में निमोनिया के खतरें को कुपोषण भी बढ़ रहा है।
उपचार में देर करना भी है बीमारी के बढ़ने का एक कारण
अधिक आयु के व्यक्तियों के फेफड़े को भी निमोनिया का संक्रमण घेर रहा है। वृद्धावस्था में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। धूम्रपान करने वालों का श्वसन तंत्र भी कमजोर होने से संक्रमण के लिए संवेदनशील हाेता है। सतर्कता, पौष्टिक आहार और समय पर उपचार से बच्चों की जिंदगी को निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है।
बच्चों में संकमण के पांच प्रमुख कारण…
- वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण: जैसे स्ट्रीप्टोकॉकस न्यूमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा। अन्य सिंड्रोम।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: शिशुओं और छोटे बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं होती है।
- पर्यावरणीय कारक: ठंडा मौसम, नमी-फंफूद, धूल, धुआं, और प्रदूषण। संक्रमित पशु के संपर्क में आकर।
- अस्वच्छ जीवनशैली: स्वच्छता की कमी और भीड़ वाले क्षेत्रों में रहने से संक्रमण की आशंका बढ़ता है।
- कुपोषण: कुपोषित बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, वे संक्रमण का शिकार जल्दी होते हैं।
बचाव के लिए करें यह उपाय:
- टीकाकरण: बच्चों को हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआइवी), न्यूमोनिया व अन्य टीके समय पर लगवाए।
- स्वच्छता: हाथ धोने की आदत, साफ-सफाई का ध्यान रखना। खांसते-छींकते समय नाक-मुंह रुमाल से ढंके।
- धूम्रपान छोड़ना: धूम्रपान ना करें। घर के अंदर बीड़ी-सिगरेट ना पीएं। घर और कमरा हवादार होना चाहिए।
- आहार: शिशु को स्तनपान कराना जरुरी। बच्चों और वृद्धजन को समय पर, संतुलित और पौष्टिक आहार देना।
- प्रारंभिक उपचार: सर्दी, खांसी, बुखार व अन्य संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।
कुछ गांवों में बच्चे का पेट फूलने व श्वास की समस्या
चिकित्सकों ने बताया कि आज भी कुछ गांवों में बच्चे का पेट फूलने, श्वास की समस्या पर दगना प्रथा प्रचलित है, जिसके पीड़ित बच्चे गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती होते हैं। अभी भी भी ऐसे मामले देखे जा रहे हैं।
दर्द से बचने के लिए बच्चा सांस हल्की लेने लगता है
निमोनिया पर बच्चों की श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है। गंभीर संक्रमण से फेफड़ों में सूजन आती है। सांस लेने में समस्या होती है, जिनकी छाती पर ग्रामीण क्षेत्र में गर्म लोहे का दाग दिया जाता है। दाग के दर्द से बचने के लिए बच्चा सांस हल्की लेने लगता है, लेकिन वास्तव में उसे निमोनिया से राहत नहीं मिलती है।
दागने के कारण बच्चे को त्वचा संबंधी गंभीर संक्रमण हो जाता
उल्टा, दागने के कारण बच्चे को त्वचा संबंधी गंभीर संक्रमण हो जाता है। यह भी भ्रम है कि अमरुद, संतरा जैसे फल ठंड में नहीं खाना चाहिए। मौसमी फल बच्चों में विटामिन की मात्रा की पूर्ति करते हैं।
कुपोषण और निमाेनिया के संयुक्त मामले में समस्या गंभीर…
कुपोषित बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उनके फेफड़े जल्दी संक्रमित होते है। ग्रामीण क्षेत्रों और विशेषकर आसपास के जनजातीय क्षेत्रों में जागरुकता के अभाव में कुपोषण की समस्या अभी है। हम देख रहे है कि जबलपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से कुपोषण और निमोनिया के संयुक्त मामले आ रहे हैं। पीड़ितों में समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। उपचार में समय लगता है। वर्तमान में कई आधुनिक सुविधाओं के होने से संक्रमण को नियंत्रित करना संभव है।
– डा. रविंद्र विश्नोई, कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज
बुखार होने पर बच्चें में रात को दो-तीन बार यह जरूर जांचें…
सर्दी, खांसी के साथ बुखार होना सामान्य है। बुखार के साथ बच्चा स्तनपान या आहार में अरुचि प्रदर्शित करता है। वह सुस्त लगे और सांस तेज चलें, तो यह निमोनिया का संकेत हो सकता है। छोटे बच्चे जब रात में सो रहे होते है तो दो से तीन बार उनके कपड़े हटाकर छाती, सांस और पसली देखना चाहिए कि कहीं उसकी सांस तेज तो नहीं चल रही। आशंका होने पर चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। फालोअप जांच अवश्य करें। क्योंकि कई बार लक्षण बाद में भी उभरते है।
– डा. मोनिका लाजरस, प्रमुख, शिशु रोग विभाग, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज