महिलाएं ब्रेस्ट-गर्भाशय, मुख कैंसर में पुरुष आगे … कैंसर से बचना है तो रुटीन चेकअप जरूर कराएं
आज नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर मध्य प्रदेश के जबलपुर में कैंसर सर्जन डा श्यामजी रावत ने बताया कि कैंसर को रोकने के लिए सबसे पहले जागरूकता जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति को कैंसर संबंधी कोई लक्षण है, तो बिना देर किए डाक्टर को दिखाएं। झाड़-फूंक आदि ना करवाएं।
HIGHLIGHTS
- सर्विक्स कैंसर से बचने के लिए तीन से पांच साल में एक्सपर्ट से चेकअप करवाएं।
- कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है, लेकिन उसके लिए इलाज करवाना जरूरी।
- देश में उपचार के लिए 1975 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था।
जबलपुर (Routine Checkup For Cancer)। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें जागरूकता रखते हुए काफी हद तक प्रारंभिक अवस्था में ही उपचार के साथ बचा जा सकता है। वर्तमान में ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर महिलाओं व पुरुषों में प्रोस्टेट से लेकर ओरल कैंसर सबसे ज्यादा हो रहा है।
नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर कैंसर पीड़ित मरीजों व कैंसर मुक्त लोगों ने अनुभव बांटे
आमतौर पर ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर, यूट्स कैंसर, ओरल कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर देखे जा रहे हैं। नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर कैंसर पीड़ित मरीजों व कैंसर मुक्त लोगों की चर्चा की जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों को साझा की।
कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है, लेकिन उसके लिए इलाज करवाना जरूरी
महिलाओं में ब्रेस्ट और पुरुषों में मुंह का कैंसर सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। कैंसर इंस्टीट्यूट में ज्यादातर मरीज आसपास के गांव से आते हैं। कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है, लेकिन उसके लिए इलाज करवाना जरूरी है।
तीन से पांच साल में एक्सपर्ट से चेकअप करवाना चाहिए।
नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर विशेषज्ञों ने बताया कि कैंसर से बचने के लिए हमें रूटीन चेकअप की प्रणाली अपनानी चाहिए, यानी सर्विक्स कैंसर से बचने के लिए तीन से पांच साल में एक्सपर्ट से चेकअप करवाना चाहिए।
प्रतिवर्ष 7 नवंबर का नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे मनाया जाता है
20 साल की उम्र से ही युवतियों को ब्रेस्ट कैंसर से बचने सेल्फ एग्जामिनेशन के साथ अवेयर होना चाहिए। प्रतिवर्ष 7 नवंबर का नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे मनाया जाता है। इस दिन कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है।
1975 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था
दिन की शुरुआत स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने 2014 में की गई थी। देश में कैंसर के उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए 1975 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर की सभी जांच उपलब्ध
मेडिकल कालेज के स्टेट कैंसर में कैंसर संबंधी सभी जांच उपलब्ध है। अगर कोई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होता है, तो स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की सेल में जाकर इलाज करवा सकता है। स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में ब्रेस्ट, गर्भाशय, मुंह, ब्लड, ब्रेन, लीवर, किडनी आदि के विशेषज्ञ है। जो मरीजों का इलाज करने के साथ ही उनकी काउंसलिंग भी करते है।
कैंसर वाले मरीज
केस-1
मेडिकल कालेज के कैंसर विभाग में श्यामलाल बदला हुआ नाम के मरीज से चर्चा की। जिसमें उन्होंने बताया कि वे उनकी उम्र 35 वर्ष है, वे जब 16 वर्ष के थे, तब से गुटखा व तंबाकू का सेवन कर रहे है। पिछले महीने उनके मुंह में एक फोड़ा हुआ।
खुद से दवा ले ली, लेकिन धीरे-धीरे इंफेक्शन बढ़ता गया
श्यामलाल बोले- उसे नार्मल समझा। खुद से दवा ले ली, लेकिन धीरे-धीरे इंफेक्शन बढ़ता गया। फिर उन्होंने अपने ही गांव कालाडूमर के डाक्टर काे दिखाया। जिसमें डाक्टर ने उन्हे जबलपुर में दिखाने की सलाह दी। वे स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट पहुंचे। जहां उनकी कुछ जांचे हुई। जिसमें पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर है, जो तीसरी स्टेज पर पहुंच गया है।
डाक्टरों ने कहा कैंसर का इलाज संभव है, बस सकारात्मक रहना होगा
श्यामलाल ने बताया कि वे खेती करते है। कैंसर का नाम सुनते ही घबरा गया, लेकिन फिर डाक्टरों ने कहा कैंसर का इलाज संभव है। बस सकारात्मक रहना होगा। साथ ही ट्रीटमेंट के लिए साथ देना होगा। अब मेरा इलाज चल रहा है।
मैंने स्वजन, रिश्तेदार व मित्रजन की बात मानी होती तो आज इस अवस्था तक नहीं आता
मेेरे स्वजन, रिश्तेदार व मित्रजन हमेशा ही गुटखा व तंबाकू का सेवन करने के लिए मना करते थे। लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी। उनकी बात मान ली होती तो आज इस अवस्था तक नहीं आता। जो भी गुटखा, खर्रा और तंबाकू का सेवन करते हैं उनसे मेरा आग्रह है, कि जीवन बहुत कीमती है। इसलिए उसे अच्छी तरह से जिएं।
केस-2
40 वर्षीय महिला बदला हुआ नाम ने बताया कि छह माह पहले उन्हें अपने राइट साइड के ब्रेस्ट में एक गांठ महसूस हुई। पहले तो वे थोड़ा डर गई। उन्होंने इस बात को किसी से शेयर नहीं किया। दो माह बीत जाने के बाद महसूस हुआ कि गांठ बढ़ गई। फिर उन्होंने अपने हसबैंड से इस बारे में चर्चा की।
सेकेंड स्टेज का कैंसर है, महिला यह सुनते ही घबरा गई
महिला बोली-फिर हसबैंड उन्हें लेकर मेडिकल पहुंचे, जिसमें जांच के पता चला कि उन्हें सेकेंड स्टेज का कैंसर है। महिला यह सुनते ही घबरा गई, लेकिन हसबैंड और डाक्टर ने उनकी हिम्मत बांधी। अब मेरा कैंसर का इलाज चल रहा है। कीमो के कारण बाल भी चले गए। मुझे बाहर निकलने में भी शर्म आती है।
गांठ या अन्य किसी तरह के लक्षण होते हैं, तो इसकी जांच कराएं
महिलाओं से कहना है कि उन्हें गांठ या अन्य किसी तरह के लक्षण होते हैं, तो इसकी जांच कराएं। घबराएं नहीं। कैंसर को आगे बढ़ने नही दें। अगर मैने भी पहले जागरुकता दिखाई होती तो शायद कैंसर सेकेंड स्टेज तक नहीं पहुंचता।
इन्होंने दी कैंसर को मात
59 वर्षीय नीता कटारिया ने बताया कि जब अप्रैल 2017 में उन्हें कैंसर के बारे में पता चला। जब मैं नहा रही थी, तो मुझे लेफ्ट साइड ब्रेस्ट में गांठ महसूस हुई। मैने तुरंत अपने पति से इस बारे में बात की। उन्होंने डाक्टर से अपाइटमेंट ली, और तुरंत दिखाया।
तुरंत आपरेशन कराया, दो कीमो भी लेनी पड़ी
डाक्टर ने बायोप्सी करके कैंसर की सेकेंड स्टेज के बारे में जानकारी मिली। इसके तुरंत बाद ही आपरेशन कराया। दो कीमो भी लेनी पड़ी। कैंसर का नाम सुनते ही मेरे होश उड़ गए थे। लेकिन स्वजनों की हिम्मत व साथ से कैंसर को मात दे पाई। जब मुझे कैंसर हुआ था, तब मेरी उम्र 52 वर्ष थी।
सोचती थी, अगर मुझे कुछ हो गया, तो इनका क्या होगा
दोनों बेटियों का चेहरा देखती थी। सोचती थी, अगर मुझे कुछ हो गया, तो इनका क्या होगा?, लेकिन मेरे पति और बेटियाें के साथ से ही कैंसर काे मात दे पाई। आज मैं पूरी तरह से कैंसर मुक्त हूं। कैंसर को ठीक करने के लिए दवाईयों, सर्जरी के साथ सकारात्मकता भी बहुत जरुरी है। जितना ज्यादा सकारात्मक रहेंगे, उतना जल्दी ठीक हो पाएंगे। कैंसर होने पर छुपाएं नहीे, बल्कि तुरंत ही डाक्टरी उपचार लेना शुरु करें।