Health News : नजदीकी रिश्ते में शादी करने से इस बीमारी का खतरा और बढ़ जाता है
HIGHLIGHTS
- माइनर थैलेसीमिया में मरीज को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है।
- माता-पिता माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो बच्चे मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित हो सकते हैं।
- मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
Health News : जिस तरह विवाह पूर्व कुंडली मिलान का चलन है उसी तरह चिकित्सक की सलाह पर लड़का लड़की के स्वास्थ्य की जांच, रक्त परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। जांच से लड़का, लड़की में रक्त विकार का पता चल सकता है। थैलेसीमिया पीड़ित लड़का, लड़की आपस में शादी नहीं करना चाहिए। यदि शादी के बाद थैलेसीमिया का पता चलता है तो गर्भस्थ शिशु की अनिवार्य रूप से जांच कराते हुए थैलेसीमिया का पता लगाना चाहिए। यह तय है कि थैलेसीमिया का खतरा माता-पिता से बच्चों तक पहुंचता है, इसलिए विवाह पूर्व जांच से इस बीमारी पर प्रभावी रोकथाम संभव है।
जागरूकता से ही टाल सकते हैं थैलेसीमिया का खतरा
थैलेसीमिया गंभीर अनुवांशिक बीमारी है, जिसके खतरे को जागरूकता से टाला जा सकता है। शरीर में खून की कमी, सांस लेने में परेशानी, शारीरिक विकास अवरुद्ध होना, चिड़चिड़ापन, भूख में कमी, थकान महससू होना, शरीर का पीला पड़ना, चेहरे की हड्डियां विकृत होना आदि थैलेसीमिया के मुख्य लक्षण हैं। यह बीमारी दो तरह की होती है। माइनर व मेजर थैलेसीमिया। माइनर थैलेसीमिया में मरीज को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है।
मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है
यदि माता-पिता दोनों माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो बच्चे मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित हो सकते हैं। मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। जिसके कारण शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है जो ह्दय व लिवर की को नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए शादी से पूर्व लड़का-लड़की की जांच कराना चाहिए।