हवा में घुलती हल्की ठंडक … ठंड में करें यह योगासन, दूर करेगा सर्दी-जुकाम और शरीर की अकड़न
शीतकाल में स्वस्थ्य एवं स्फूर्त रहने के लिए मध्य प्रदेश के जबलपुर में योग प्रशिक्षक पंखुड़ी तनेजा ने बताए उपाय। कहा कि हेमंत ऋतु के आनक से मौसम में परिवर्तन होने लगा है। रात में तापमान में गिरावट हो रही है। हवा में घुलती हल्की ठंडक, सर्दी की आहट दे रही है। सामान्य रुप से लोगों को सर्दी-जुकाम की शिकायत होती है। खांसी कई दिनों तक परेशान करती है।
HighLights
- सुबह का समय सबसे अच्छा या खाने के तीन घंटे बाद कर सकते योग।
- श्वास प्रक्रिया को शुद्ध करके श्वसन तंत्र और हृदय को लाभ पहुंचाता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्ध करता है, संक्रमण से बचाव में सहायक।
Health News। कई लोगों की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। वायरल इंफेक्शन की संभावना बनती है। यदि योगासन को जीवनचर्या में सम्मिलित कर लिया जाएं तो शरीर को सक्रिय एवं गर्म रखकर अकड़न और सर्दी-जुकाम जैसे समस्या से बच सकते हैं।
सुबह का समय सबसे अच्छा या खाने के तीन घंटे बाद
सूर्य नमस्कार, सुबह (सूर्योदय) करना चाहिए। सूर्य के प्रकाश से शरीर को विटामिन-डी की पूर्ति होती है। यह भी कई शारीरिक समस्या से सुरक्षा देता है। कोई भी योग एवं आसन की प्रक्रिया के समय खाली पेट होना आवश्यक है।
श्वास प्रक्रिया को शुद्ध करके श्वसन तंत्र और हृदय को लाभ पहुंचाता है
यदि आप नाश्ता या भोजन के बाद करते है तो कम से कम तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। योगासन के समय आरामदायक व सूती के वस्त्र पहनें। प्राणायम में अनुलोम विलोम नाड़ी शोधन क्रिया है। इसे कोई भी कर सकता है। यह श्वास प्रक्रिया को शुद्ध करके श्वसन तंत्र और हृदय को लाभ पहुंचाता है।
योगासन में क्रिया के लिए समय का महत्व है
- सर्दी-जुकाम में भस्त्रिका सहायक होता है। कपालभांति भी शुद्धि क्रिया है।
- प्राणायाम में अनुलोम विलोम, भस्त्रिका और कपालभांति का अभ्यास करें।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्ध करता है। संक्रमण से बचाव में सहायक होता है।
- योगाभ्यास से मस्तिष्क एवं शरीर को सक्रिय रखने में सहायता मिलती है।
- हृदय गति-कोर तापमानक को बढ़ाता, जो रक्त वाहिकाओं को फैलाता है।
- मांसपेशियों में परिसंचरण में सुधार करता, ठंड में मांसपेशियां सख्त होती हैं।
- योग के माध्यम से यह आपको गर्म और मजबूत रखने में मदद कर सकता है।
अभी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक योगासन क्रिया के तरीके…
सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार 12 चरणों में होता है, जो कि मांसपेशियों और जोड़ों को सशक्त व लचीला बनाता है। रक्त संचार बढ़ाता और ऊर्जा प्रदान करता है। इसे करते समय सूर्य की ओर मुख होना चाहिए। यह आसान सुबह होता है। ठंड के समय जब सूर्य किरण गुनगुनी लगे तब करना अच्छा है। उच्च रक्तचाप, कमर व घुटने के दर्द से पीड़ित, इन आसन को योग विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही करें।
अनुलोम-विलोम : सुखासन या ध्यानात्मक आसन की मुद्रा में बैठे। फिर सीधे हाथ से नाक के दाहिने ओर के छिद्र काे अंगूठे से दबाए। नाक के बाये छिद्र से श्वास खींचे। थोड़ी देर तक श्वास को रोके रखें। उसके बाद नाक से दूसरे छिद्र से श्वास को बाहर छोडें। यही प्रक्रिया दूसरी ओर के नाक छिद्र से दोहराए। इस क्रिया का अभ्यास पांच मिनट से लेकर अधिक 10 मिनट तक करना चाहिए।
कलापभाति : सुखासन में बैठकर, दोनों हाथ को ज्ञान मुद्रा में करते हुए श्वास खींचते हुए झटके साथ पेट को अंदर करना है। तुरंत ही श्वास को बाहर छोड़ते हुए झटके से पेट बाहर की ओर जाएगा। इसकी गति प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य क्षमता अनुरुप अलग-अलग होती है। इस क्रिया को अधिकतम पांच मिनट तक ही करें। अधिक समय तक क्रिया के अभ्यास से पेट में दर्द हो सकता है।
भस्त्रिका व जलनेति : श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका क्रिया है। यह फेफड़ों को मजबूत बनाता है। जिन्हें साइनस या कफ होने के कारण नाक बंद होने की समस्या हो, उनके लिए जलनेति क्रिया लाभदायक है। जलनेति में पानी से नाक की सफाई की जाती है। भस्त्रिका एवं जलनेति, दोनों योग क्रिया को योग प्रशिक्षक से परामर्श कर और निगरानी में करना चाहिए।
शारीरिक गतिविधि कम होने से होती है परेशानी
सर्द मौसम लोगों की सामान्य दिनचर्या को प्रभावित करता है। बाहर टहलना एवं अन्य शारीरिक गतिविधियां कुछ कम हो जाती है। ठंडी हवा के संपर्क में आकर शरीर में अकड़न महसूस होती है। कई अन्य रोग की आशंका बनती है, जिसमें वायरल संक्रमण से लेकर श्वास एवं हृदय विकार तक सम्मिलित है। इनसे बचाव में योग एवं आसन सहायक होते है।