क्या आपकी तासीर ठंडी है सर्दी से परेशान हैं … प्रतिदिन एक आंवला खाएं, बलगम वाले रोगों को दूर भगाएं
मध्य प्रदेश के जबलपुर में नईदुनिया के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में शासकीय आयुर्वेद कालेज के आयुर्वेद एवं योग विशेषज्ञ डा. रामकुमार अग्रवाल ने पाठकों को दिया परामर्श, बताया कि यह आपको शीतकाल में जुकाम, बुखार सहित सर्दी में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्या से सुरक्षा देगा। एसिडिटी होने पर नारियल पानी और ठंड दूध राहत देगा या मुनक्का भूनकर खाएं।
HIGHLIGHTS
- शीत में सीतोप्लादी चूर्ण शहद के साथ लें, मधुमेह पीड़ित वाले ना लें।
- आंवला चूर्ण को शहद या पानी के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
- पांच वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति योग-आसान कर सकता है।
Health News : अभी मौसम परिवर्तित हो रहा है। ठंड आते ही लोगाें को सर्दी, खांसी, बुखार की समस्या होती है। बच्चे हो या बड़े, उन्हें अभी प्रतिदिन एक कच्चा आंवला खाना चाहिए। स्वाद बढ़ाने के लिए काल नमक ले सकते हैं। चाहे तो आंवला चूर्ण को शहद या पानी के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं। आंवला, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाता है। यह आपको शीतकाल में जुकाम, बुखार सहित सर्दी में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्या से सुरक्षा देगा।
शीत : सीतोप्लादी चूर्ण शहद के साथ ले सकते हैं, यह मधुमेह वाले ना लें
कई घरेल नुस्खें बताए, जिससे हमें किसी समस्या पर तुंरत राहत मिल सकती है। जैसे कि ठंड में सर्दी और सिरदर्द होने पर एक चुटकी पिपली(बड़ी पीपर) का चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम लें। जिन्हें शीत की समस्या है वह सीतोप्लादी चूर्ण शहद के साथ ले सकते हैं, यह मधुमेह पीड़ित वाले ना लें।
अनुलोम-विलोम तीन माह तक करने पर नाड़ी शोधन होता है
पांच वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति योग-आसान कर सकता है। प्राणायाम आठ प्रकार के होते हैं। जैसे सर्दी की समस्या पर सूर्यवेदन, अधिक गर्मी महसूस होने पर शीतली, थायराइड एवं कंठ संंबंधी समस्या पर उज्जायायी, तनाव होने पर भ्रामरी, श्वास समस्या पर भस्त्रिका आसान करना चाहिए। अनुलोम-विलोम तीन माह तक करने पर नाड़ी शोधन होता है।
स्वस्थ हृदय के लिए भुजंग, पदमासन, ताड़ासन, शवासन करें
यह हृदय के लिए भी लाभदायक है। हृदय को स्वस्थ्य रखने के लिए भुजंग, पदमासन, ताड़ासन और शवासन भी कर सकते हैं। भ्रामरि आसन और ध्यान भी होना चाहिए। आसन सुबह खाली पेट करें। चाय पी लिया है तो 15 मिनट, नास्ता करने पर डेढ़ घंटे और खाना के बाद तीन से चार घंटे के बाद ही आसन करना चाहिए। हृदय रोगियों के लिए अर्जुन चूर्ण और अर्जुन क्षीर पार का सेवन अच्छा है।
प्रश्न- मेरा चार वर्ष का बालक है। ठंड में सर्दी-खांसी की समस्या बढ़ जाती है। आयुर्वेद में कोई उपचार बताएं? – कंधीलाल साहू, तेंदूखेड़ा
उत्तर- अदरक का एक-एक चम्मच प्रतिदिन सुबह और शाम को दें। या फिर चम्मच का एक चौथाई भाग हल्की और उतनी ही मात्रा में मुलेठी को मिलाकर गोली बना लें, उसका सेवन कराएं। इसका ठंड में नियमित सेवन हो, तो समस्या नहीं होगी।
प्रश्न- मैं लगभग हर दिन दही का सेवन करता हूं। इससे ठंड में नुकसान होता है क्या? – अमित सिंह, डिंडोरी
उत्तर- दिन में दही खाना अच्छा होता है। रात में सेवन से बचना चाहिए। हेमंत ऋतु में दही खाना तो अच्छा ही माना गया है। मौसम के अनुसार दही के साथ मिलाए जाने वाले तत्व में परिवर्तन करना चाहिए। जैसे अभी दही में नमक के साथ सोंठ मिलाकर खाए। शरद ऋतुकाल में शक्कर और ग्रीष्मकाल में गुड़ के साथ खाना चाहिए।
प्रश्न- मुझे घुटने में दर्द रहता है। ठंड में समस्या और बढ़ जाती है। आयु भी 64 वर्ष हो गई है। – गौरी क्षत्री, सिवनी
उत्तर- सरसों के तेल में लहसून, राई, अजवाइन मिलाकर उबालें। गुनगुना हो जाएं तो दर्द वाले स्थान पर लगाए। बालू में सेंधा नमक मिलाकर हल्का गुनगुना कर सिंकाई करें। इस दौरान पंखा, एसी की हवा से बचें। तिल, गोंद, सोंड के लड्डू का संतुलित मात्रा में सेवन किया जा सकता है।
प्रश्न- मैं वात रोग से पीड़ित हूं। दवा खाने पर आराम मिलता है, लेकिन स्थाई समाधान नहीं हो रहा है। कमजोरी भी रहती है। – गरिमा सिंह, दमोहनाका
उत्तर- भोजन में हींग का प्रयोग करें। दिन में मठा के साथ एक चम्मच हिंगवास्टर चूर्ण मिलाकर खाए। दही का सेवन नहीं करना है। एक सोंठ की गोली का सेवन करें। इसे घर पर बना सकते है। दो-तीन बड़े चम्मच घी को गर्म करके उसमें गुड़ और सोंठ मिला लें। घी, गुड़ और सोंठ बराबर मात्रा में रहेंगे। सूखने पर टेबलेट बना दें। चंद्रप्रभा वटी ले सकते है। मधुमेह पीड़ित के लिए नीम एवं करेला का रस भी लाभदायक है।
प्रश्न- मुझे बुखार है। गला भी खराब है। ठंड में गला अक्सर खराब रहता है। ऐसे में क्या करना चाहिए? – अभिषेक गुप्ता, सीधी
उत्तर- मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ खाए। एक इंच दालचीनी को एक गिलास पानी में उबाकर, उसका काढ़ा तैयार करके सेवन करें, यह लाभदायक होगा। या फिर सुबह-शाम खाने के बाद बाद एक-एक गुड़ची घनवटी टेबलेट ले सकते है। गले में जलन की समस्या नहीं होगी। आंवला के अलावा संतरा, मुसंबी जैसे फल के सेवन करें। हां, गले में समस्या पर हल्दी और सेंधा नमक से गरारा अवश्य करें।
प्रश्न- मुझे पैरो में सूजन रहती है। इसका आयुर्वेद में कोई उपचार है क्या? आयु 50 वर्ष है। राखी सोनी, जबलपुर
उत्तर- रक्तप्रवाह बाधित होने, पेशाब रुकने, हदृय रोग में, या कोई अन्य कारण भी पैरों में सूजन हो सकती है। किसी चिकित्सक से मिलकर एक बार परामर्श करना चाहिए। सबसे पहले जो करना चाहिए वह यह कि नमक और पानी की मात्रा कम करें। तुलसी-दालचीनी की चाय पीएं। पुननवासव दवा का एमएल मात्रा को इतनी ही मात्रा में पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। गोक्षुरआदि टेबलेट गोगुल ले सकते है।
प्रश्न- मेरे पिता की आयु 85 वर्ष है। उन्हें प्रोस्टेड में समस्या है। ठंड को देखकर क्या सावधानी रखना चाहिए? – प्रकाश नेमा, दमोह
उत्तर- शरद के बाद हेमंत ऋतु में सामान्यतया एसिडिटी, फ्लू, सर्दी, श्वास संबंधी रोग होता है। इससे बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना होता है। आंवला उपकारी है ही, साथ में गुड़ची(गिलोय) का सेवन करें। इसके तने का अपनी एक अंगुली के बराबर का टुकड़ा लेकर उसे एक गिलास पानी में गर्म करें। तब तक उबाले जब तक कि उसकी मात्रा घटकर एक कप के बराकर रह जाए। दालचीनी एवं तुलसी वाली चाय भी प्रतिदिन लेना लाभकारी है।