तीन माह के गर्भ में ही पता चल जाएगा शिशु को सिकल सेल एनीमिया तो नहीं, मप्र के तीन मेडिकल कॉलेजों में विशेष जांच शुरू करने की तैयारी
इंदौर, जबलपुर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिकल सेल एनीमिया संबंधी विशेष जांच सुविधा शुरू करने की तैयारी है। इस जांच में गर्भावस्था के पहले तीन माह में शिशु के रक्त के सैंपल निकालकर जांच की जाती है। जांच के बाद अगर शिशु बीमारी से प्रभावित मिलता है तो गर्भ समापन कराया जाएगा।
HIGHLIGHTS
- एक एनजीओ के माध्यम से कुछ जिलों में सुविधा शुरू।
- इसको लेकर एम्स से भी अनुबंध करने की तैयारी है।
- सरकार चला रही सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्यक्रम।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में प्रदेश में जांच और उपचार की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित संतान का जन्म न हो, इसलिए गर्भ में ही रक्त परीक्षण किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसके लिए मेडिकल कॉलेजों से प्रस्ताव मांगे हैं। अभी तक इंदौर, जबलपुर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज ने प्रस्ताव दिया है।
एम्स भोपाल से भी इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से अनुबंध करने की तैयारी है। इस जांच में गर्भावस्था के पहले तीन माह में शिशु के रक्त के सैंपल निकालकर जांच की जाती है। जांच के बाद अगर शिशु बीमारी से प्रभावित मिलता है तो गर्भ समापन कराया जाएगा। अभी एक गैर सरकारी संगठन के सहयोग से कुछ जिलों में यह सुविधा कुछ मामलों में शुरू की गई है।