Back Pain: घंटों एक जगह बैठकर काम करने से हो रहा कमर और गर्दन दर्द, ऐसे बचें इससे
लगातार बैठकर काम करना आपको हमेशा के लिए कमर और गर्दन की समस्या दे सकता है। इंदौर में हुई ऑर्थोपैडिक सर्जन्स की कॉफ्रेंस में इस समस्या पर विस्तार से चर्चा हुई। यहां डॉक्टरों ने इससे बचने के तरीकों की भी जानकारी दी है। युवाओं में यह सबसे सबसे ज्यादा देखी जा रही है।
HIGHLIGHTS
- ज्यादा देर बैठे रहने से बिगड़ रहा है युवाओं का पोश्चर।
- युवाओं को हिप या नी रिप्लेसमेंट भी कराना पड़ रहा है।
- इससे बचने हर दिन करीब 45 मिनट तक व्यायाम करें।
Back Pain: इंदौर। इन दिनों लोगों में जोड़ों के दर्द की समस्या के मामले बढ़ रहे हैं। घुटने, रीढ़ की हड्डी, गर्दन, कमर और कूल्हे की हड्डी में दर्द की समस्या अब आम हो चली है। बढ़ती उम्र में इन समस्याओं के होना तो पहले भी था, लेकिन अब युवाओं भी इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं।
इसकी वजह कई है, लेकिन ज्यादातर युवाओं की बिगड़ी जीवनशैली, उनका बैठने व कार्य करने का गलत ढंग और व्यायाम से दूरी प्रमुख है। स्थिति इतनी विकट हो रही है कि युवाओं को अब हिप या नी रिप्लेसमेंट भी कराना पड़ रहा है।
हर 45 मिनट में बॉडी स्ट्रेचिंग
यदि युवाओं को इन समस्याओं से बचना है तो हर 45 मिनट में उन्हें बॉडी स्ट्रेचिंग और दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करना चाहिए। यह बात शहर में आयोजित मध्य प्रदेश ऑर्थोप्लास्टी कांफ्रेंस मैक-2024 में विशेषज्ञों ने कही।
इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के एमपी चैप्टर और एसोसिएशन आफ ऑर्थोपैडिक सर्जन इंदौर द्वारा आयोजित दो दिनी कांफ्रेंस के दूसरे और अंतिम दिन रविवार को देशभर से आए ऑर्थोपैडिक सर्जन ने युवाओं को हो रही हड्डी संबंधित समस्याओं और उसके उपचार पर चर्चा की।
पोश्चर बिगड़ने की समस्या
इस मंथन के निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि जिन युवाओं को घंटों एक ही स्थान पर बैठकर कार्य करना पड़ता है वे हर 45 मिनट में अपनी कुर्सी छोड़ बाडी स्ट्रेचिंग करें। लंबे समय तक एक जैसे बैठकर काम करने के कारण युवाओं में पोश्चर बिगड़ने की समस्या आ रही है। इसके कारण कमर और गर्दन में दर्द भी होने लगता है।
नी रिप्लेसमेंट की लाइव सर्जरी
यह मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण होता है। इस कांफ्रेंस में एजुकेशनल सेशन के साथ लाइव सर्जरी का आयोजन किया गया। नी-360 डिग्री थीम पर आयोजित कांफ्रेंस में नागपुर से आए नी रिप्लेसमेंट स्पेशलिस्ट उमेश महाजन ने वेलेस रोबोटिक की मदद से लाइव सर्जरी की।
उन्होंने इस सर्जरी की मदद से देशभर से आए ऑर्थोपैडिक डॉक्टरों को एक परफेक्ट रोबोटिक सर्जरी करने का डेमोंस्ट्रेशन दिया। उन्होंने बताया कि रोबोटिक सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा मरीज को है। इससे एक्युरेसी काफी बढ़ जाती है और परफेक्शन आता है। इम्प्लांट का एलाइनमेंट बेहतर मिलता है, जिससे उसकी लाईफ काफी बढ़ जाती है।
घुटने के किसी एक हिस्से में खराबी तो पूरे जोड़ को नहीं बदला जाता
ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ. विनय तंतुवाय ने बताया कि कांफ्रेंस के दूसरे दिन पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी लाइव की गई। इस प्रकार की सर्जरी में घुटने के पूरे जोड़ को बदलने के बजाय उसके डैमेज टिश्यू और हड्डी को हटा दिया जाता है।
इसके बदले धातु या प्लास्टिक से बना एक कृत्रिम जोड़ लगा दिया जाता है। इस प्रोसीजर का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब घुटने के किसी एक हिस्से में खराबी होती है। इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन एमपी चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ. साकेत जती ने बताया कि कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने 51 लाख पौधारोपण के लिए संकल्पित होकर अभियान में सहयोग देने का संकल्प लिया।
नी रिप्लेसमेंट करवा चुके मरीज इन बातों का रखें ध्यान
- नियमित 10 मिनट व्यायाम करें, नीचे बैठने का प्रयास न करें।
- हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें।
- जहां गिरने या फिसलने का खतरा हो, ऐसी जगहों पर जाने से बचें।
सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा
कोयंबटूर से आए ऑर्थोपैडिक कंसल्टेंट डॉ. धनशेखर राजा ने कहा कि नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद सबसे बड़ा खतरा संक्रमण का रहता है। इसके लिए प्री आपरेटिव स्क्रीनिंग बेहद महत्वपूर्ण रहती है और इस स्क्रीनिंग के रिजल्ट के अनुसार ही पहले से ही एहतियातन इलाज शुरू कर दिया जाता है।
इसके बाद भी यदि किसी मरीज को संक्रमण हो जाता है तो उसकी पहचान शुरुआत में करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इंफेक्शन पुराना हो जाता है तो उसका इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है। पुणे से आए डा. नीरज अड़कर ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल अब न सिर्फ ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में किया जा रहा है, बल्कि ये अब लिगामेंट सर्जरी और फ्रैक्चर सर्जरी में भी मददगार साबित हो रही है।
युवा इस तरह रह सकते हैं स्वस्थ
- हर दिन करीब 45 मिनट व्यायाम करें, पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
- लंबे समय तक बैठते हैं तो हर 45 मिनट में बॉडी स्ट्रेचिंग करें।
- बैठते वक्त रीढ़ की हड्डी और गर्दन एक सीध में रखें।
- हर 45 मिनट में कुर्सी छोड़कर करीब 100 कदम जरूर चलें।
- कैल्शियम और विटामिन डी की कमी न होने दें।
- वजन नियंत्रित रखें, जंकफूड के सेवन से गुरेज करें।
- योग को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।