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जबलपुर पहला सरकारी मेडिकल कालेज है, जहां एंडोब्रोनचियल अल्ट्रासाउंड की सुविधा, जानें क्‍या है इबीयूएस

Jabalpur News : पीड़ित को समय पर उपचार से कैंसर पीड़ित काे असमय मौत से बचाया जा सकता है, क्योंकि फेफडे़ के कैंसर में अधिकतर मामलों में संक्रमण का पता देर से चलने के कारण पीड़ित की मृत्यु हो जाती है। इबीयूएस को ब्रानकोस्कोपी की अपेक्षा परीक्षण का अधिक सुरक्षित तरीका माना जाता है। जांच की इस प्रक्रिया में समय भी कम लगता है।

HIGHLIGHTS

  1. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में नई सुविधा।
  2. यह ब्रानकोस्कोपी की अपेक्षा सुरक्षित जांच का तरीका।
  3. अब प्रारंभिक चरण में पता चलेगा फेफड़े का कैंसर।

Jabalpur News : जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में जांच के लिए आने वाले मरीजों में फेफड़े के संक्रमण का अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा। कालेज के स्कूल आफ एक्सीलेंस इन पलमोनरी मेडिसिन में अत्याधुनिक एंडोब्रोनचियल अल्ट्रासाउंड (इबीयूएस) आरंभ की गई है।

अभी तक 50 से अधिक मरीजों के फेफड़ों में संक्रमण का पता लगाया जा चुका

इबीयूएस से जांच में फेफड़े के कैंसर का प्रांरभिक चरण में पता चल जाता है। इस नई जांच सुविधा से अभी तक 50 से अधिक मरीजों के फेफड़ों में संक्रमण का पता लगाया जा चुका है। संभवत: जबलपुर पहला सरकारी मेडिकल कालेज है जहां इबीयूएस की सुविधा उपलब्ध हो गई है।

एक टयूब सांस नली के सहारे संक्रमण तक पहुंचती है

इबीयूएस फेफड़े से संबंधित कैंसर एवं अन्य रोगों का पता लगाने का एक अत्याधुनिक उपकरण है, जिसे एक ट्यूब (नली) के द्वारा सांस की नली के रास्ते से फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है। इस नली के एक सिरे पर एक अल्ट्रासाउंड लगा होता है, जिसकी सहायता से फेफड़े के उस हिस्से का पता लगाने में मदद मिलती है जो बीमारी ग्रस्त है।

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