Health News : छाती में दर्द का एहसास, रात में पसीना आए, थकावट महसूस हो रही तो संभल जाएं
HIGHLIGHTS
- थूक की छोटी-छोटी बूंदे हवा में फैल जाती है।
- वजन अचानक घटने लगे तो कराएं टीबी की जांच।
- टीबी के जीवाणु अनुकूल वातावरण में सक्रिय होते हैं।
Health News : बेचैनी एवं सुस्ती, छाती में दर्द का एहसास होना, रात में पसीना आना, थकावट महसूस होना, वजन में अचानक कमी, भूख न लगना अथवा कम लगना, हल्का बुखार, खांसी, खांसी के साथ खून या बलगम आना आदि लक्षण टीबी के हो सकते हैं। इस दशा में बिना देर किए चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होने पर जांच में विलंब नहीं करना चाहिए। टीबी को तपेदिक, क्षय रोग भी कहा जाता है। जिसका सर्वाधिक असर फेफड़ों पर पड़ता है।
वर्षों तक शरीर में निष्क्रिय टीबी के जीवाणु अनुकूल वातावरण मिलते ही सक्रिय हो जाते हैं
शरीर के अन्य अंगों पर भी टीबी संक्रमण का खतरा होता है, मस्तिष्क विकार भी इससे उत्पन्न होता है। यह संक्रामक बीमारी है जिससे हर वर्ष तमाम मरीजों की मौत होती है। यूं कहें कि अन्य संक्रामक बीमारियों से होने वाली कुल मौतों से ज्यादा मौतें अकेले टीबी से होती हैं। टीबी के जीवाणु वर्षों तक व्यक्ति के शरीर में निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं। जो अपने अनुकूल वातावरण मिलते ही सक्रिय हो जाते हैं।
थूक की छोटी-छोटी बूंदे हवा में फैल जाती है
कुपोषण, एचआइवी, शुगर, कम उम्र में गर्भधारण या बार-बार गर्भधारण, धूम्रपान समेत कई कारण टीबी का जोखिम बढ़ाते हैं। टीबी संक्रमित मरीज के खांसने, छींकने, थूकते समय बलगत व थूक की छोटी-छोटी बूंदे हवा में फैल जाती है। जिनसे उत्पन्न बैक्टीरिया काफी समय तक हवा में रह सकते हैं जो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उन्हें बीमार कर सकते हैं।
जागरूकता की कमी के कारण टीबी से मौत होती है
देश में हर साल लाखों लोगों की टीबी से मौत होती है। जागरूकता की कमी के कारण इस बीमारी का समूल उन्मूलन नहीं हो पा रहा है। जबकि सरकार द्वारा टीबी के उन्मूलन के लिए निश्शुल्क उपचार व जांच के प्रबंध किए गए हैं। इसलिए टीबी से बचाव के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना बेहद आवश्यक है।