Health News : बुखार आने के बाद बेहोशी आए तो सावधान हो जाएं
HIGHLIGHTS
- उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए।
- अपनी मर्जी से दवा नहीं देना चाहिए।
- कई बच्चे जीवन रक्षक प्रणाली पर आ जाते हैं।
Health News : बुखार के दौरान यदि बेहाेशी के लक्षण नजर आएं तो सावधान हो जाएं। यह स्थिति जोखिम भरी हो सकती है। इसलिए बुखार की दशा में शरीर की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए। खासकर जब कम उम्र के बच्चे बुखार से पीड़ित हों तो माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए। मलेरिया बुखार के कारण भी बेहोशी का खतरा होता है।
उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए
टायफाइड, मैनिनजाइटिस के भी लक्षण रहते हैं। छह माह से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को बुखार होने पर उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए। अपनी मर्जी से दवा खरीदकर बच्चों को नहीं देना चाहिए। तेज बुखार बच्चों के दिमाग पर असर डालता है। जिससे चिड़चिड़ापन, झटके, सुस्ती, उल्टी, बेहोशी जैसी तमाम समस्याएं सामने आती हैं।
तमाम बच्चे दिमागी दौरे की चपेट में आ जाते हैं
दिमागी दौरे की चपेट में आए तमाम बच्चे को समय पर उपचार न मिलने पर गंभीर खतरा उठाना पड़ता है। इस दशा में कई बच्चे जीवन रक्षक प्रणाली पर आ जाते हैं। दिमाग पर बुखार का असर होने पर शरीर में अकड़न जैसी स्थिति बनती है। बेहोशी के बाद बच्चा कोमा में भी जा सकता है। दिमाग में बिजली के करंट की तरह झटके लगते हैं। आंखें ऊपर की ओर हो जाती हैं, मुंह से झाग निकलने की भी समस्या संभावित रहती है। इसलिए बुखार किसी भी वजह से हो मरीज को चिकित्सीय परामर्श के बाद ही दवाएं देनी चाहिए। उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए।