आतंकियों के लिए आफत थे जनरल बिपिन रावत, दुश्मन को घर में घुसकर मारने की रणनीति के माहिर

नई दिल्ली.  देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की आज जयंती है। जनरल रावत एक ऐसा नाम थे, जिससे दुश्मन के पसीने छूट जाते थे। देशप्रेम इतना भरा था कि कोई भी देश की तरफ आंख उठाता तो वह उस आंख निकालने में गुरेज नहीं करते थे। भारत के दुश्मनों को जवाब देने के लिए वो उनके घर में घुसरकार उन्हें मारने में विश्वास रखते थे। कई मौकों पर उन्होंने ये कर के भी दिखाया। बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे। 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। उन्हें अपनी सेवा के दौरान एक दर्जन से अधिक मेडलों और सम्मानों से नवाजा गया था। पिछले वर्ष दिसंबर में तमिलनाडु के ऊटी के पास कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया।

म्यांमार में घुसे और उग्रवादियों को सिखाया सबक  ये जनरल रावत की ही ताकत थी कि वे दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारते थे। इसका एक उदाहरण म्यांमार है। जहां घुसकर रावत ने उग्रवादियों को सबक सिखाया। बात वर्ष 2015 की। 8 और 9 जून की दरम्यानी रात में भारत के 21 पैरा कमांडो म्यांमार में घुसते हैं। तीन टीमों में बंटे जवान म्यांमार के पोन्यु इलाके के पास उंजिया में उग्रवादी गुट द नेशनल सोशलिस्ट ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K) के उग्रवादियों को घेरकर खदेड़ते हैं। इस दौरान उग्रवादियों के सभी कैंप तबाह कर दिए जाते हैं। सभी जवान बिना किसी नुकसान के लौट आते हैं। दरअसल इन उग्रवादियों ने 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में सेना की डोगरा रेजिमेंट पर हमला किया था।

उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को दिया अंजाम
18 सितंबर 2016 को आतंकियों ने उड़ी में आर्मी के 12वें ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर में कायराना हमला किया था। इस हमले में भारत ने अपने 18 जवानों को खो दिया था। इसके जवाब में 28 और 29 सितंबर की रात को भारत के 25 कमांडो POK में घुसे और आतंकी कैंप तबाह कर दिए। 38 आतंकियों को खत्म कर देते हैं।

एयर स्ट्राइक का भी रहे हिस्सा यही नहीं जनरल बिपिन रावत की भूमिका पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक में भी बताई जाती है। वह इस एयर स्ट्राइक की प्लानिंग और इमरजेंसी मीटिंग्स का हिस्सा थे।

जवानों से विशेष लगाव बिपिन रावत दुश्मनों के लिए जितने सख्त थे उतने नरम और लगाव वो जवानों से रखते थे। वह हमेशा अपने जवानों की मदद के लिए उपलब्ध रहते थे। बताते हैं कि एक बार उन्होंने एक जवान की नौकरी भी बचाई थी। पूर्व एजूटेंट जनरल (लेफ्टिनेंट जनरल) अश्विनी कुमार ने एक लेख में यह किस्सा साझा किया था। दरअसल एक सैनिक उनके पास आया था, उसकी शिकायत थी कि शराब की लत के चलते उसे एफ-5 कैटेगरी में डाल नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया गया है। उसका तर्क था कि उसके एक अफसर को इसी गलती के कारण नशामुक्ति के प्रोग्राम में डाला गया है, फिर उसके साथ भेदभाव क्यों? इस पर जनरल बिपिन रावत ने उसका बर्खास्तगी का आदेश रद्द करवा दिया।

कई पीढ़ियों से की देश सेवा कई पीढ़ियों से जनरल बिपिन रावत का परिवार देश सेवा करता आया है। शहीद सीडीएस रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे। सीडीएस बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका का भी हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया। रावत की दो बेटिया हैं. बड़ी बेटी कृतिका की शादी हाल ही में मुंबई में हुई थी. वहीं छोटी बेटी अभी पढ़ाई कर रही है।

राजनीति से भी जुड़ा था परिवार सेना के अलावा सीडीएस बिपिन रावत का परिवार राजनीति से भी जुड़ा हुआ था। उनके नाना किशन सिंह परमार उत्तरकाशी से विधायक रहे थे।

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