झांसी अस्पताल अग्निकांड: झांसी मेडिकल कॉलेज में इस वजह से जिंदा जले दस मासूम बच्चे, असल कारण आया सामने
झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात बड़ा हादसा हो गया। यहां न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लग जाने से कई नवजात शिशुओं की जलने से मौत हो गई। घटना के बाद अस्पताल में चीख पुकार मच गई। दमकलकर्मियों ने खिड़की के कांच तोड़कर अंदर घुसकर आग बुझाने की कोशिश की।
HIGHLIGHTS
- शुक्रवार रात करीब पौने ग्यारह बजे हुई घटना।
- बिजली व्यवस्था ठप। शार्ट सर्किट से लगी आग।
- देखते ही देखते वार्ड में धुआं ही धुआं हो गया।
एजेंसी, झांसी। झांसी के मेडिकल कॉलेज से दर्दनाक खबर सामने आई है। शुक्रवार की रात यहां कहर की रात बन गई। न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लग जाने से 10 नवजात शिशुओं की जलने से मौत हो गई। कुछ बच्चे बुरी तरह झुलस गए, जिनका इलाज जारी है।
प्रारम्भिक जांच में न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लगने की वजह सामने आई है। आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग होने से लग गई थी। घटना की जानकारी लगते ही सुबह डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मेडिकल कॉलेज पहुंच गए।
राष्ट्रपति ने हादसे पर दुख जताया। वहीं, प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की है। अचानक हुई इस घटना से किसी को संभलने का मौका नहीं मिला और मौत अपना खूनी खेल खेलती रही। जिन शिशुओं को इस दुनिया में आए चंद दिन ही हुए थे, उन्हें इस तरह से रूखसत होने की घटना के बारे में जानकर सभी अवाक रह गए हैं।
शुक्रवार की रात आग ने महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज ने कहर बरपा दिया। अचानक आग लगने से निक्कू वॉर्ड में भर्ती 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गयी। इनकी संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। सेना ने मोर्चा संभाल लिया है।
सीएम योगी ने लिया संज्ञान, अफसरों को मौके पर भेजा, 12 घंटे में मांगी रिपोर्ट
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुए हादसे का संज्ञान लिया है।
- उन्होंने प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और चिकित्सकों को तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
- उन्होंने कहा है कि इस कार्य हेतु पर्याप्त संख्या में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां लगाई जाएं। निर्देशित किया कि घायलों का समुचित उपचार किया जाए।
- उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य झांसी रवाना हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में घटना के संबंध में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
मेडिकल कॉलेज के निक्कू (न्यू बोर्न इण्टेसिव केयर यूनिट) वॉर्ड में लगभग एक दर्जन से अधिक बच्चों को गहन चिकित्सा में रखा गया है। रात लगभग 10.40 बजे वॉर्ड में अचानक आग लग गयी। धुएं का गुबार देख परिजन भर्ती बच्चों को गोद में उठाकर भागने लगे।
गर्भवती महिलाओं को लेकर दौड़े
- गर्भवती महिलाओं को भी लेकर लोग दौड़े, लेकिन धुएं और आग के कारण कोई आगे नहीं बढ़ पा रहा था। चारों तरफ चीख पुकार मचने लगी। इसी बीच विद्युतापूर्ति बाधित हो गयी।
- आग लगने की सूचना पर पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ, पुलिस बल और जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गया। दमकल कर्मियों ने वॉर्ड की खिड़की का काँच तोड़कर अन्दर प्रवेश किया।
- उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए सेना के जवानों ने मोर्चा सँभाल लिया है। सेना और फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पा लिया है।
- अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वरुण पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी मौके पर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
सीएम ने डिप्टी सीएम पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को झांसी रवाना किया
महारानी मेडिकल कॉलिज में देर रात आग लगने से 10 बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने दिखाते हुए उप मुख्यमन्त्री बृजेश पाठक एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को झांसी रवाना कर दिया है। वहीं, मण्डलायुक्त एवं उप पुलिस महानिरीक्षक को हादसे की जाँच कर 12 घण्टे के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
सेफ्टी अलार्म नहीं आया काम, 6 दमकल गाड़ियों ने बुझाई आग
- महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज प्रदेश के पुराने चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में शुमार है और मप्र एवं उप्र के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सबसे बड़ा उपचार केन्द्र है।
- इसके बावजूद यहां व्यवस्थाएं पटरी से उतरी रहती हैं। निक्कू वॉर्ड में लगी आग ने इन व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
- बताया जा रहा है कि जिस समय आग लगी निक्कू वॉर्ड में 50 से अधिक नवजात बच्चे भर्ती थे। आग लगते ही वॉर्ड की विद्युतापूर्ति बाधित हो गयी और चारों ओर धुंआ ही धुंआ फैल गया।
- ताज्जुब की बात यह रही कि वॉर्ड में लगा सेफ्ट अलार्म तक नहीं बजा, जिससे सुरक्षा कर्मियों और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हादसे की जानकारी समय से नहीं लग सकी।
- जब आग की लपटें और धुंआ देखकर गर्भवती महिलाओं के परिजन बच्चों को गोद में लेकर भागने लगे, तब अफरा-तफरी फैली और आनन-फानन में फायर ब्रिगेड को सूचना दी गयी।
एक के बाद एक करके 6 दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। उधर प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।
सेना भी दमकल वाहन के साथ मौके पर पहुंची और वॉर्ड की खिड़की के कांच तोड़कर 37 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन 10 बच्चों ने दम तोड़ दिया। यदि समय रहते अलार्म बज जाता तो हादसा बड़ा होने से पहले रोका जा सकता था।