COP29: संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भारत को लेकर क्यों जताई गई चिंता? विशेषज्ञों ने की खास अपील
COP29 Climate Summit संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन कॉप-29 में भारत में बिगड़ती हवा को लेकर चिंता जताई गई है। खासकर दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के लिए। इसके लिए दुनियाभर के विशेषज्ञों ने खास अपील की है और भारत से कहा है कि वह अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों (एसएलसीपी) से निपटे। पढ़ें रिपोर्ट।
HIGHLIGHTS
- भारत से मीथेन और ब्लैक कॉर्बन जैसे एसएलसीपी को कम करने का आग्रह।
- एसएलसीपी में कमी लाने की रणनीति प्रदूषण से लड़ने में हो सकती है मददगार।
- भारत की सही मार्केटिंग की समस्या से वित्तीय मदद मिलने में होती है परेशानी।
पीटीआई, बाकू। दिल्ली की जहरीली हवा पर चिता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन कॉप-29 में विशेषज्ञों ने भारत से कहा है कि देश अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों (एसएलसीपी) से निपटे। ब्लैक कॉर्बन, मीथेन, ग्राउंड-लेवल ओजोन और हाइड्रोफ्लोरोकॉर्बन (एचएफसी) जैसे एसएलसीपी वायु गुणवत्ता को बिगाड़ने के साथ ग्लोबल वॉर्मिंग की महत्वपूर्ण वजह बनते हैं।
एसएलसीपी ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों का एक समूह है, जो जलवायु पर निकट अवधि में वॉर्मिंग प्रभाव डालता है। एसएलसीपी में कमी लाने की रणनीतियां भारत को प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार साबित हो सकती हैं, बताते हुए इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट की निदेशिका (इंडिया प्रोग्राम) जेरिन ओशो और अध्यक्ष डरवुड जेल्के ने इससे जुड़े बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
तापमान में कमी लाने में होगा सहायक
जेल्के ने बताया कि मौजूदा वॉर्मिंग में एसएलसीपी करीब आधा असर डालते हैं और यह तापमान कम करने का सबसे तेज तरीका हैं। अगर एसएलसीपी पर नियंत्रण कर लिया जाए तो हम तापमान में कमी लाने के प्रभाव को तेजी से हासिल कर सकते हैं और दीर्घकालिक अवधि के कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को धीमा कर सकते हैं।