भोजन करने के बाद सीधे बिस्तर पर जाते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें … आदत सेहत पर भारी पड़ सकती है

खराब जीवनशैली, खानपान की बिगड़ती आदतें लिवर की बीमारियों को बढ़ावा दे रही हैं। ओपीडी में पहुंचने वाले 10 में से 6-7 लोग एसिडिटी से पीड़ित होते हैं। धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन तत्काल बंद कर देना चाहिए। जबलपुर में नईदुनिया के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए उक्त बातें गेस्ट्रोएंटोलाजिस्ट डा. यश श्रीवास्तव ने कहीं।

HIGHLIGHTS

  1. कब्ज की समस्या फिशर, भगंदर, बवासीर आदि का कारण बन जाती है।
  2. आंतों में खराबी, हीट बर्न समेत तमाम बीमारियों का कारण बन सकती है।
  3. बाहर का ज्यादा तेल मसाले वाली खाद्य सामग्री का सेवन मुख्य वजह है।

Hello Doctor : भोजन करने के बाद सीधे बिस्तर पर पहुंचने वाले सतर्क रहें। यह आदत सेहत पर भारी पड़ सकती है। लिवर संबंधी तमाम रोगों की वजह बन सकती है। जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह, उमरिया, मंडला, सीधी, शहडोल, अनूपपुर समेत अन्य जिलों के पाठकों ने डा. श्रीवास्तव से फोन पर चर्चा कर शंका का समाधान किया।

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मसाले वाली खाद्य सामग्री का सेवन करना इसकी मुख्य वजह

तनाव, नींद पूरी न होना, समय से भोजन न करना, घर के शुद्ध व पौष्टिक भोजन की जगह बाहर का ज्यादा तेल मसाले वाली खाद्य सामग्री का सेवन करना इसकी मुख्य वजह है। पेट में गैस, कब्ज, फैटी लिवर की समस्या साल दर साल बढ़ रही है।

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पेट व लिवर की बीमारियां कार्यक्षमता को प्रभावित

भागदौड़ भरी जिंदगी में पेट व लिवर की बीमारियां कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही हैं। लिहाजा भोजन के बाद 40-45 मिनट तक नहीं सोना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। सलाद, मौसमी सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां का भरपूर सेवन करना चाहिए।

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मैदा, बेसन, तेल, मिर्च, मसाला के अत्यधिक सेवन से बचें

छोला, मैदा, बेसन, तेल, मिर्च, मसाला के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। एक साथ भरपेट भोजन करने से बेहतर है कि चार से पांच बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें, इससे पेट व लिवर संबंधी बीमारियां से बचाव होगा। गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी।

कई बीमारियों के प्रति किया जागरूक

पाचन तंत्र संबंधी बीमारियां अब आम होती जा रही हैं। अधिकांश लोग पेट के विकार की शिकायत लेकर विशेषज्ञ के पास पहुंचते हैं। ग्रासनली, पेट और आंत और पित्त संबंधी अंग लिवर, पित्त नलिकाएं, अग्न्याशय और पित्ताशय से संबंधित बीमारियां परेशान कर रही हैं।

सिरोसिस, अग्नाशय, पित्त और पित्ताशय की थैली के रोग

वायरल हेपेटाइटिस, विषाक्त हेपेटाइटिस, फैटी लीवर रोग, सिरोसिस, अग्नाशय, पित्त और पित्ताशय की थैली के रोग जैसे पित्ताशय की पथरी, पित्ताशयशोथ, अग्नाशयशोथ, बवासीर, पेट के अल्सर समेत अन्य बीमारियों को लेकर डा. श्रीवास्तव से सवाल किए गए।

अचानक वजन घटना या बढ़ना, पेट में जलन, पीलिया

पेट में दर्द, फूला हुआ पेट, अपच, गैस और गैस का दर्द, मलाशय से रक्तस्राव, दस्त, कब्ज या शौच में कठिनाई, अचानक वजन घटना या बढ़ना, पेट में जलन, पीलिया समेत तमाम बीमारियों के प्रति पाठकाें को जागरूक किया।

छोटी समस्या बन जाती है बड़ी

गेस्ट्रोएंटोलाजिस्ट डा. श्रीवास्तव ने कहा कि पेट से जुड़ी समस्याएं लोगों को सामान्य लगती हैं। यही कारण है कि तमाम लोग समय रहते पेट संबंधी विकारों का उपचार कराने में लापरवाही करते हैं। परंतु वे यह नहीं समझते कि समय रहते उपचार न होने पर यह समस्या पेट के कैंसर, बवासीर, संक्रमण, पालीप्स, पेप्टिक अल्सर, अल्सरेटिव काेलाइटिस, कब्ज, गैस, वजन कम या ज्यादा हो जाता है।

हीट बर्न समेत तमाम बीमारियों का कारण बन सकती

आंतों में खराबी, हीट बर्न समेत तमाम बीमारियों का कारण बन सकती है। कई बार स्थिति जानलेवा हो जाती है। लिहाजा प्रत्येक व्यक्ति को पेट, लिवर संबंधी बीमारियों के उपचार में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। वैसे भी तमाम बीमारियों की शुरुआत पेट की खराबी से होती है।

जागरूकता से बचाव संभव

जागरूकता से पेट, लिवर संबंधी तमाम रोगों से बचा जा सकता है। तमाम लोग अपनी गलत आदतों के कारण कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं से घिर जाते हैं। कब्ज होने पर पेट साफ न होना, बार-बार शौच जाना, पेट भरा महसूस होना जैसी समस्याओं से जूझते हैं।

कब्ज फिशर, भगंदर, बवासीर आदि का कारण

यह कब्ज की समस्या फिशर, भगंदर, बवासीर आदि का कारण बन जाती है। यदि जीवनशैली व खानपान बेहतर रखा जाए तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है। यह ध्यान रखना अावश्यक है कि पेट की तमाम बीमारियां एक साथ चलती हैं। जरा सी लापरवाही कब्ज से अल्सर, बवासीर आदि तक बीमारी को पहुंचा देती है।

सवाल-फैटी लिवर के बारे में बताएं, इससे लक्षणाें के बारे में बताएं।

जवाब-लिवर मेें अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर कहा जाता है। तमाम मरीजों में इसके लक्षण नहीं मिलते हैं। हालांकि थकान, मतली, भूख में कमी, पेट में दाएं तरफ दर्द का अनुभव जैसे लक्षण सामने आते हैं।

सवाल-मुझे पांच वर्ष से कब्ज की समस्या है, लिवर खराब होने का खतरा तो नहीं है।

जवाब-खाना पचाने से लेकर अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने में लिवर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। लगातार कब्ज रहने से लिवर खराब हो सकता है। बार-बार कब्ज होना लिवर खराब होने का संकेत होता है।

सवाल-क्या फैटी लिवर मरीजों में भी कब्ज की समस्या हो सकती है।

जवाब-हां, ऐसे मरीजों में कब्ज की समस्या ज्यादा होती है। फैटी लिवर से मेटाबोलिज्म का संतुलन बिगड़ जाता है। पेट साफ नहीं होता, भूख नहीं लगती, कब्ज परेशान करती है। लंबे समय तक यह स्थिति लिवर में सूजन, सिरोसिस की समस्या को जन्म देती है।

सवाल-मेरे पिताजी की उम्र 65 वर्ष है, वे शुगर के मरीज हैं, लिवर की बीमारियों से कैसे बचाव कर सकते हैं।

जवाब-शुगर न सिर्फ पेट, लिवर बल्कि पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है। हाई शुगर में नान एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है। अपच, कब्ज की समस्या हो सकती है। इससे बचने का सबसे आसान उपाय शुगर पर नियंत्रण है।

इसका रखें ध्यान

  • शरीर में फाइबर की कमी न होने दें
  • शारीरिक गतिविधि में सक्रिय रहें
  • भोजन के तुरंत बाद सोने से बचें
  • जीवनशैली व खानपान को बेहतर रखें
  • तनाव न लें, भरपूर नींद लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • ज्यादा तेल, मसाला का सेवन न करें
  • फास्ट फूड, जंक फूड कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन से बचें
  • बासा भोजन न करें
  • धूम्रपान, गुटका, शराब के सेवन से बचें
  • अपना वजन नियंत्रित रखें
  • समय समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराएं
  • पेट, लिवर संबंधी किसी भी समस्या में स्वयं डाक्टर बनने का प्रयास न करें, उचित परामर्श लें

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