सिर की गंभीर चोट से पीड़ित का सिर व छाती का भाग 30-45 डिग्री तक ऊपर रखें

मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर कार्यशाला में बोले विशेषज्ञ-हृदय, दंत, फेफड़े, न्यूरो संबंधी समस्या में भी फिजियोथेरेपी पीड़ित को समस्या से शीघ्र उबरने में सहायक होती है। सिर की गंभीर चोट से बेहोश व्यक्ति का सिर एवं छाती का भाग शरीर के अन्य भाग से ऊंचा रखना चाहिए। इससे मस्तिष्क पर दबाव कम पड़ता है। रक्त प्रवाह सामान्य होता है।

HIGHLIGHTS

  1. निश्चेत मरीज को आइसीयू में कई दिन तक भर्ती रखना पड़ता है।
  2. मरीज के पैरों को घुटने और कमर के पास से मोड़ना चाहिए।
  3. मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता।

 जबलपुर (Health)। फिजियोथेरेपी का लाभ मात्र अस्थि रोग संबंधी पीड़ा के निवारण में नहीं है। हृदय, दंत, फेफड़े, न्यूरो संबंधी समस्या में भी फिजियोथेरेपी पीड़ित को समस्या से शीघ्र उबरने में सहायक होती है। यह जानकारी रविवार को विशेषज्ञ चिकित्सकों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में आयोजित फिजियोथेरेपी विभाग की कार्यशाला में कही। कार्यक्रम का आयोजन विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर किया गया था।

बेहोश व्यक्ति का सिर एवं छाती का भाग शरीर के अन्य भाग से ऊंचा रखें

फिजियोथेरेपी विभाग के प्रमुख डा. अजय फौजदार ने सिर की गंभीर चोट से बेहोश व्यक्ति के शरीर की स्थिति (फ्लैक्शन पोजीशन) और संतुलन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिर की गंभीर चोट से बेहोश व्यक्ति का सिर एवं छाती का भाग शरीर के अन्य भाग से ऊंचा रखना चाहिए। यह 30 से 45 डिग्री तक ऊपर हो सकता है। इससे मस्तिष्क पर दबाव कम पड़ता है। रक्त प्रवाह सामान्य बनाए रखने में सहायक होगा।

निश्चेत मरीज को आइसीयू में कई दिन तक भर्ती रखना पड़ता है

डा. फाैजदार ने बताया कि सिर में गंभीर चोट लगने पर निश्चेत मरीज को उपचार के लिए आइसीयू में कई दिन तक भर्ती रखना पड़ता है। मस्तिष्क पर चोट हाेती है तो फेफड़े भी प्रभावित होने की आशंका रहता है। कई बार पीड़ित के मल-मूत्र त्यागने का तंत्र भी प्रभावित होता है। इंसेंटिव केयर में फ्लैक्शन पोजिशन (मरीज के शरीर की स्थिति) की तकनीकों का उपयोग कर फेफड़े को अधिक समय सुरक्षित रख सकते हैं।

पैरों को घुटने और कमर के पास से मोड़ना चाहिए

मल-मूत्र तंत्र को सामान्य बनाए रख सकते हैं। मरीज की लंबाई अधिक है तो उसके पैरों को घुटने और कमर के पास से मोड़ना चाहिए। गंभीर अवस्था में शरीर का आकार जितना छोटा रहेगा, मस्तिष्क तक रक्त नियंत्रित मात्रा में पहुंचेगा। रक्त संचरण की प्रक्रिया भार कम होने से हृदय को भी लाभ मिलेगा।

मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के डा. अमित किनरे ने हृदय संबंधी फिजियोथेरेपी की उपयोगिता की जानकारी दी। डा. वीरेंद्र आर्य ने पलमोनरी मेडिसिन और दंत रोग विभाग के डा. प्रणव पाराशर ने मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता के बारे में बताया। डा. ऋषि वंशकार न्यूरो डायनेमिक्स पर विचार रखें।

दो दिवसीय कार्यशाला के समापन पर फिजियोथेरेपी विभाग के सेवानिवृत्त प्रशिक्षक डा. एमएल केवटे, डा. महेश स्थापक और डा. अरविंद चौबे को सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। छात्र-छात्राओं ने कत्थक नृत्य और फिजियोथेरेपी पर नाट्य प्रस्तुति दी। प्रेरक उद्बोधन के साथ-साथ फैशन शो आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता डा. नवनीत सक्सेना थे। डा. प्रभात बुधोलिया, डा. ज्योति त्रिपाठी, डा. अालोक मुखर्जी, डा. विष्णु कोल उपस्थित थे।

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