Epilepsy In Children: बच्चे के सिर में पुरानी चोट, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, कहीं मिर्गी न हो जाएं
HIGHLIGHTS
- बच्चा मिर्गी से पीड़ित है तो देखभाल में सावधानी रखें।
- बच्चों में मिर्गी का दौरा पड़ने के कई कारण हो सकते हैं।
- आटिज्म से ग्रसित बच्चों में जोखिम अधिक रहता है।
Epilepsy in Children: छोटे बच्चों की देखभाल में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि बच्चा मिर्गी से पीड़ित है तो देखभाल में अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए। दरअसल, मिर्गी न्यूरोलाजिकल स्थिति है। जन्म के एक साल के दौरान मिर्गी के दौरे पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। जैसे-जैसे बच्चे उम्र बढ़ती है दौरे बढ़ने लगते हैं।
लक्षण की पहचान कर जोखिम किया जा सकता है कम
वरिष्ठ शिशु विशेषज्ञ, डॉक्टर प्रदीप दुबे ने बताया कि मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन, बोलने में परेशानी, किसी वस्तु की पहचान करने में समस्या, सांस लेने में तकलीफ, भावनात्मक बदलाव समेत अन्य लक्षण की पहचान कर मिर्गी के जोखिम को कम किया जा सकता है।
मिर्गी का दौरा पड़े के कारण
बच्चों में मिर्गी का दौरा पड़ने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ मामलों में यह अनुवांशिक समस्या होती है। इसी तरह जिन बच्चों के सिर में चोट लगी हो उन्हें इसका जोखिम बढ़ जाता है। कुछ बच्चों के मस्तिष्क के आकार में बदलाव के कारण भी मिर्गी के दौरे का खतरा रहता है। इसी तरह आटिज्म से ग्रसित बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने का जोखिम अधिक रहता है।
मिर्गी के दौरे के समय बच्चों को गिरने से बचाना चाहिए। सिर में चोट न लगने पाए इसके लिए साइकिल आदि चलाते समय हेलमेट का उपयोग आवश्यक है। खेलकूद के दौरान भी सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना चाहिए।
बच्चों को तनाव से बचाना चाहिए
ऐसे बच्चों को तनाव या डिप्रेशन से बचाना चाहिए, क्योंकि इससे भी मिर्गी के झटकों का खतरा बढ़ता है। मिर्गी पीड़ित बच्चे जब आग-पानी के समीप हों तो विशेष सुरक्षा की आवश्यकता होती है। मिर्गी के उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए।