Premenstrual Syndrome: प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से बचाव के लिए नियमित करें व्यायाम, इन समस्याओं से भी मिलेगी राहत
इसके सामान्य लक्षण पेट के निचले हिस्से और पीठ में दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ापन, गुस्सा महसूस होना, सिर दर्द, भूख में परिवर्तन, वजन बढ़ना है।
HIGHLIGHTS
- इसके कारण खाने-पीने की इच्छा कम हो जाती है।
- स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
- पीएमएस के लिए कोई लैब टेस्ट या फिजिकल एग्जामिनेशन नहीं है।
हेल्थ डेस्क, इंदौर। Premenstrual Syndrome: अधिकांश महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से किसी न किसी तरह पीड़ित होती हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकिता पंचोली के मुताबिक, पीएमएस के लक्षण हर माह पीरियड्स के पहले दिखते हैं। कुछ महिलाएं हार्मोन्स के लिए ज्यादा सेंसिटिव होती है, इसलिए भी पीएमएस होता है। इसके सामान्य लक्षण पेट के निचले हिस्से और पीठ में दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ापन, गुस्सा महसूस होना, सिर दर्द, भूख में परिवर्तन, वजन बढ़ना, कॉन्स्टिपेशन, पीरियड्स के दौरान दर्द आदि है।
ये होते हैं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण
इसके अलावा बेचैनी, असमंजस, ध्यान लगाने में परेशानी, निर्णय लेने में कठिनाई, भूलने की समस्या, खुद को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति आदि भी इसके लक्षण हैं। लेकिन ऐसे कोई लक्षण नजर आए तो महिलाओं को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए। इसके कारण खाने-पीने की इच्छा भी आम दिनों के मुकाबले कम हो जाती है। पीएमएस के लिए कोई लैब टेस्ट या फिजिकल एग्जामिनेशन नहीं है। व्यायाम और डाइट में कुछ बदलाव करने से पीएमएस के प्रभावों से छुटकारा मिल सकता है।
बिल्कुल भी न करें नजरअंदाज
मरीज की हिस्ट्री, पेल्विक एग्जामिनेशन और कुछ केसों में मनोवैज्ञानिक विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि स्त्री इस बीमारी से ग्रस्त है या नहीं। इससे बचाव के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। इसके साथ ही विशेषज्ञों की सलाह से अपनी डाइट में भी बदलाव करने से पीएमएस के प्रभावों से छुटकारा मिल सकता है। कई महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती है। जो हानिकारक है। इसमें लापरवाही ना बरतते हुए विशेषज्ञ से इलाज करवाना चाहिए।
डिस्क्लेमर
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