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Yoga For Snoring: खर्राटे और स्लीप एपनिया से परेशान हैं तो रोज करें ये 5 योगासन

HIGHLIGHTS

  1. गले का मोटापा, लगातार सर्दी जुकाम बने रहना या ऊंचा तकिया लेकर सोने से भी खर्राटे की समस्या होती है।
  2. गर्दन झुकाकर टेबल पर काम करते हैं तो भी आपको खर्राटे की समस्या हो सकती है।
  3. इन समस्याओं से बचाव के लिए आप रोज ये योगाभ्यास कर सकते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। बड़ी उम्र में अधिकतर लोग अधिकांश लोगों को खर्राटे लेने की समस्या बढ़ जाती है। खर्राटे लेने वाला व्यक्ति खुद तो नींद में रहता है, इसलिए उसे पता नहीं होता है कि उसे Snoring की समस्या है, लेकिन कुछ लोग इतने जोर से खर्राटे मारते है कि पास में सोने वाले व्यक्ति की नींद खराब हो जाती है। खर्राटे और स्लीप एपनिया की समस्या महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से देखने को मिलती है। ऐसे में आप कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास करके भी इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रही है योग एक्सपर्ट अल्पना पांडेय।

किसी व्यक्ति में खर्राटे लेने के कई कारण हो सकते हैं। गले का मोटापा, लगातार सर्दी जुकाम बने रहना या ऊंचा तकिया लेकर सोने से भी खर्राटे की समस्या होती है। इसके अलावा यदि आप लगातार गर्दन झुकाकर टेबल पर काम करते हैं या गले में संक्रमण के कारण सूजन हैं तो भी आपको खर्राटे या स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है। कुछ लोगों में यह समस्या टॉन्सिल्स में सूजन, थायराइड आदि के कारण भी देखी जाती है। इन समस्याओं से बचाव के लिए आप रोज ये योगाभ्यास कर सकते हैं।

त्रिकोणासन

 

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इस योगासन को करने से तनाव व चिंता कम होती है। कमर व पीठ दर्द से राहत मिलते कारण नींद अच्छे से आती है। मांसपेशियों में लचीलापन आता है। रोज इस आसन को करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है। रोज करीब 5 से 10 मिनट इस योगासन का अभ्यास करना चाहिए ।

भुजंगासन

 

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भुजंगासन करने से एंजाइटी, अनिद्रा की समस्या से निजात मिलती है। इस योगासन को करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। मोटापा कम होता है और रात में सोते समय सांस लेने में परेशानी नहीं होती है। स्लीप एपनिया की समस्या कम होती है।

त्राटक क्रिया

 

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त्राटक क्रिया भी एक प्रमुख यौगिक क्रिया है, जिसके जरिए मानसिक शांति मिलती है और तनाव से मुक्ति मिलती है। इससे नींद अच्छी आती है। इस योगासन को नियमित करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है।

भस्त्रिका व कपालभाति

 

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योगशास्त्र में भस्त्रिका व कपालभाति आसन को प्रमुख माना जाता है। ये योगासन कुंडलिनी जागरण में अहम भूमिका निभाते हैं। इस योगासनों का अभ्यास करने से मानसिक शांति मिलती है। शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होता है। इससे याददाश्त तेज होती है। इन यौगिक क्रियाओं को रोज 10 से 15 मिनट करना चाहिए।

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