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काम की खबर: हर 10वें मरीज की दवा पर्ची में कई खामियां, सुरक्षा व स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़, जानें क्या है ICMR की रिपोर्ट

HIGHLIGHTS

  1. ICMR ने 13 अस्पतालों में किए गए एक अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में यह बात रखी है।
  2. 44.87 प्रतिशत से अधिक मरीजों की दवा पर्ची में गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है।
  3. कई बार तो आधी-अधूरी Medicine Prescription ही मरीज को दे दी जाती है।

नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में मरीज को लिखी जाने वाली दवा पर्ची को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों की ओर से मरीजों को जो दवा पर्ची (Medicine Prescription) लिखी जाती है, उसमें भारी खामियां होती है, जिसका असर मरीज की सेहत के साथ-साथ सुरक्षा पर भी होता है।

13 अस्पतालों का किया अध्ययन

ICMR ने 13 अस्पतालों में किए गए एक अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में यह बात रखी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले 44.87 प्रतिशत से अधिक मरीजों की दवा पर्ची में गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है। कई बार तो आधी-अधूरी Medicine Prescription ही मरीज को दे दी जाती है।

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हर 10वें मरीज की पर्ची में गलती

आईसीएमआर ने दिल्ली में हर 10वें मरीज को लिखी गई Medicine Prescription में गंभीर खामियां पाई है, जिसका दुष्प्रभाव मरीजों को झेलना पड़ता है। इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि एम्स दिल्ली, सफदरजंग, एम्स भोपाल, KEM मुंबई, PGI चंडीगढ़, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना सहित 13 अस्पतालों के फार्माकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर यह अध्ययन किया है।

4,838 पर्चियों का अध्ययन

रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के बीच सरकारी व निजी क्षेत्र के अस्पतालों के 4838 मरीजों की पर्ची का अध्ययन किया गया। इसमें अस्पतालों के कम्युनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक, गायनी, त्वचा रोग व नेत्र विज्ञान विभाग की OPD में इलाज कराने वाले मरीजों की पर्चियां को इकट्ठा किया गया था।

सिर्फ 55.1 फीसदी Medicine Prescription में डॉक्टरों ने गाइडलाइन का पालन किया है। 38.65 फीसदी Prescription में यह नहीं लिखा गया है कि दवा की डोज क्या है और दवा का सेवन कब कब करना है। 9.8 फीसदी Medicine Prescription में गंभीर खामियां पाई गईं।

अध्ययन में कहा गया है कि कुछ दवा पर्चियों में मरीज को दवाएं अनावश्यक रूप से लिखी गई। जिन दवाओं को अनावश्यक रूप से ज्यादा लिखा गया, उनमें पैंटोप्राजोल, रबेप्राजोल व डोम्पेरिडोन कंबाइंड डोज जैसे दवाएं शामिल हैं।

इन दवाओं को लिखने वाले सभी डॉक्टर एमडी या एमएस थे और 4 से 18 वर्ष का अनुभव था। कई मरीजों को इन डॉक्टरों ने एंटासिड के साथ रबेप्राजोल व डोम्पेरिडोन कंबाइंड डोज जैसी दवाएं लिखी, जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन के अनुसार सही नहीं है। अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन के इलाज के लिए एजिथ्रोमाइसिन के अलावा FDV एमोक्सिलिन व क्लैवुलैनीक एसिड दवा भी लिखी गई थी।

सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि Medicine Prescription में गड़बड़ी के कारणों का पड़ताल करते समय यह भी देखना होगा कि अध्ययन कब हुआ। कोरोना महामारी के दौरान कई एंटीबायोटिक व कई ऐसी दवाएं अधिक लिखी जा रही थीं।

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