Sinus Treatment: समय पर करवा लें साइनस का उपचार, इन लक्षणों को न करें अनदेखा
HIGHLIGHTS
- साइनस का इलाज बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को संक्रमण कितना ज्यादा हुआ है।
- पहले मरीज का क्लिनिकल टेस्ट किया जाता है।
- आवश्यकता होने पर नाक की दूरबीन द्वारा जांच और कुछ मामलों में CT स्कैन की सलाह दी जाती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। साइनस की बीमारी को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है कि यह चेहरे के क्षेत्र में खोखली गुहाएं होती हैं, जो हवा के संचार और म्यूकस को बाहर निकालने में सहायता करती हैं। यदि इनमें कोई संक्रमण हो जाता है, तो इसे Sinusitis कहते हैं, जिसे आमतौर पर साइनस कहा जाता है। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अंचल जैन।
Sinusitis के प्रमुख लक्षण
Sinusitis के लक्षणों की बात की जाए तो बार-बार नाक बहना, छींक आना, आंख से पानी बहना, सांस लेने में तकलीफ होना, कान में दर्द होना आदि हैं। अधिकांश लोग साइनस की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यदि इनमें से कोई लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
साइनोसाइटिस का उपचार
साइनस का इलाज बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को संक्रमण कितना ज्यादा हुआ है। इसके लिए पहले मरीज का क्लिनिकल टेस्ट किया जाता है। आवश्यकता होने पर नाक की दूरबीन द्वारा जांच और कुछ मामलों में CT स्कैन की सलाह दी जाती है। इससे संक्रमण की मात्रा व उसके उपचार की पद्धति तय की जा सकती है।
इन बातों की रखें सावधानी
साइनोसाइटिस के उपचार में सबसे पहले दवाइयां, नाक स्प्रे, गर्म पानी की भाप आदि की सलाह दी जाती है। किंतु यदि 6 हफ्ते तक इसके लक्षण बने रहते हैं, तो सीटी स्कैन किया जाता है। यदि इसमें नाक का ब्लाकेज, यानि पोलिप्स मिलता है तो मरीज को सर्जरी की सलाह दी जाती है। यह दूरबीन द्वारा बिना चीरा लगाए की जाती है। यदि किसी को भी यह बीमारी है तो उसे समय पर उपचार करवा लेना चाहिए। इलाज नहीं करवाने पर यह समस्या और बढ़ सकती है।