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UN Security Council: भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलना बेतुका, एलन मस्क का बड़ा बयान

HIGHLIGHTS

  1. भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलना बेतुका है।
  2. एलन मस्क ने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है।
  3. जिनके पास संयुक्त राष्ट्र में अतिरिक्त शक्ति है, वे इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।

एजेंसी, वाशिंगटन। दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल ख्यात उद्योगपति एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से भारत को बाहर रखे जाने पर आश्चर्य जताते हुए इसे बेतुका करार दिया है। एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की वकालत करते हुए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिए जाने का समर्थन किया है।

अरबपति एलन मस्क ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता से भारत को बाहर किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में टेस्ला के CEO एलन मस्क ने लिखा, “पृथ्वी पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलना बेतुका है।” उन्होंने आगे लिखा कि संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जिनके पास संयुक्त राष्ट्र में अतिरिक्त शक्ति है, वे इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।
 
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आपको बता दें कि एलन मस्क ने यह पोस्ट तब किया है, जब हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने UNSC के स्थायी सदस्यों की सूची से किसी भी अफ्रीकी राष्ट्र की अनुपस्थिति पर चिंता जताई थी। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि आखिर हम यह कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि सुरक्षा परिषद में अभी भी अफ्रीका से एक भी स्थायी सदस्य का अभाव है। इसके बाद इजरायली लेखक माइकल इसेनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की अनुपस्थिति की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने लिखा कि “और भारत के बारे में क्या?

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‘सुरक्षा परिषद एक पुराना क्लब’

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर तीखा कटाक्ष करते हुए इसे एक “पुराना क्लब” बता चुके हैं, जहां मौजूदा सदस्य देश नियंत्रण खोने के डर से नए सदस्यों को शामिल करने से कतराते हैं। एस. जयशंकर ने कहा था कि “सुरक्षा परिषद एक पुराने क्लब की तरह है, जहां कुछ ऐसे सदस्य हैं जो पकड़ छोड़ना नहीं चाहते हैं। वे क्लब पर नियंत्रण रखना चाहते हैं। अधिक सदस्यों को शामिल करने के लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं।

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