Yoga For Viral Infections: बदलते मौसम में ब्रोन्काइटिस व सर्दी जुकाम से परेशान हैं तो रोज करें ये 5 योगासन
HIGHLIGHTS
- कमजोर इम्यूनिटी के कारण जो लोग एलर्जी, दमा, ब्रोंकाइटिस, सर्दी जुकाम, खांसी और गले के इन्फेक्शन से जल्दी पीड़ित हो जाते हैं।
- घर ही कुछ योगाभ्यास करके खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
- भोजन के बाद सीधे बैठने से श्वसन में सुधार और पाचन तंत्र मजबूत होगा।
लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। खास कर ऐसे लोगों को, जो श्वास संबंधी बीमारियों से शीघ्र पीड़ित होते हैं। कमजोर इम्यूनिटी के कारण जो लोग एलर्जी, दमा, ब्रोंकाइटिस, सर्दी जुकाम, खांसी और गले के इन्फेक्शन से जल्दी पीड़ित हो जाते हैं, उनके लिए जीवन शैली में परिवर्तन के साथ साथ नियमित योगाभ्यास भी आवश्यक है। दमा या एलर्जी का मुख्य कारण बाह्य वातावरण में परिवर्तन, हवा में विजातीय द्रव्य कण, फंगस, ठंडी हवा, ठंडे पेय, धुआं, मानसिक तनाव आदि हो सकता है, जिसके प्रति शरीर अतिसंवेदनशील हो जाता है और इसका प्रभाव श्वसन तंत्र, नाक, गला और त्वचा पर नजर आता है। ऐसे में आप घर ही कुछ योगाभ्यास करके खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रही है इंटरनेशनल योगा चैंपियन व गोल्ड मेडलिस्ट अल्पना पांडे –
रोज करें ये यौगिक क्रियाएं
एलर्जी, दमा, ब्रोंकाइटिस, सर्दी जुकाम, खांसी और गले के इन्फेक्शन से पीड़ित होने पर रोगी रोज जल नेति, धौति, कुंजल क्रिया जैसी यौगिक क्रियाओं के साथ आसन प्राणायाम का अभ्यास करने से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। यौगिक शुद्धिकरण क्रियाओं के साथ व्यक्ति को अपनी अपनी दिनचर्या में इन योगासन को भी शामिल करना चाहिए।
वज्रासन
भोजन के बाद सीधे बैठने से श्वसन में सुधार और पाचन तंत्र मजबूत होगा।
हलासन
मैट पर नीचे पीठ के बल लेट कर दोनों पैरों को सिर से ऊपर ले जाते हुए जमीन पर टिका दें।
धनुरासन
मैट पर पेट के बल लेट कर दोनों पैरों को पकड़ कर ऊपर खींचे। सीने में फैलाव से फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ेगा। श्वसन तंत्र मजबूत होगा।
मत्स्यासन
पीठ के बल लेट कर दोनों हाथ शरीर के नीचे ले जाएं। कुहनियों के सहारे शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर उठाएं। सिर को उल्टा कर मैट पे रखें। सीना ऊपर होने से फेफड़ों को भरपूर ऑक्सीजन मिलने से इम्यूनिटी बढ़ेगी।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
दिन में 2 बार खाली पेट प्राणायाम का अभ्यास करने से 2 महीने में रोगी को लाभ मिलेगा।