बिहार: जातीय जनगणना के आंकड़े जारी, 36.01% अत्यंत पिछड़ा वर्ग, जानिए ब्राह्मण, राजपूत, कुर्मी, यादव की कितनी आबादी
पटना। बिहार में जातीय आधारित गणना (Bihar Caste based census) की सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार ने यह सर्वे करवाया था।
सोमवार को पटना में बिहार सरकार में अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सर्वे रिपोर्ट जारी की। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने इसके लिए किस तरह प्रक्रिया अपनाई और किस तरह इसमें त्रुटि की आशंका बिल्कुल नहीं है। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ है।
बिहार में जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी
-
- पिछड़ा वर्ग: 27.12 प्रतिशत
- अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 36.01 प्रतिशत
- अनारक्षित: 15.52 प्रतिशत
- ब्राह्मण: 3.65 प्रतिशत
- कुर्मी: 2.87 प्रतिशत
- यादव: 14.26 प्रतिशत
- बनिया: 2.3 प्रतिशत
- धोबी: 0.8 प्रतिशत
- चंद्रवंशी: 1.04 प्रतिशत
आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है, बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। – नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
बिहार: जातीय जनगणना की बड़ी बातें
-
- बिहार में 82% हिन्दू हैं
-
- 17. 7% मुसलमान, .05% ईसाई, .08% बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं
-
- राज्य में कुर्मी जाति की संख्या 2.87 प्रतिशत है
-
- कुशवाहा जाति की संख्या 4.21 प्रतिशत
-
- राजपूतों की संख्या 3.41 प्रतिशत
जाति जनगणना बिहार के गरीबों और जनता के बीच भ्रम फैलाने से ज्यादा कुछ नहीं करेगी। उन्हें (मौजूदा बिहार सरकार को) एक रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि नीतीश कुमार ने 18 साल तक राज्य पर शासन किया और लालू यादव ने 15 वर्षों तक राज्य पर शासन किया, लेकिन राज्य का विकास नहीं किया। जाति जनगणना का रिपोर्ट कार्ड सिर्फ दिखावा है।’ – केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बेगुसराय में
सुप्रीम कोर्ट तक गया था मामला
बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला लिया था। इसके खिलाफ हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों अनुमति दी थी।