विक्रम लैंडर की दोबारा सफल लैंडिंग के मायने, चंद्रमा से सैंपल लेकर धरती पर लौटना होगा संभव
बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के मिशन मून चंद्रयान-3 ने एक और सफलता हासिल की है। ISRO ने सोमवार को बताया कि उसने विक्रम लैंडर का सफलतापूर्वक स्थान बदल दिया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के इंजन चालू किए। इससे लैंडर चंद्रमा की सतह से 40 CM ऊपर उठा। इसके बाद 30 से 40 CM दूर जाकर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग की।
विक्रम लैंडर की दोबारा सफल लैंडिंग के मायने
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- ISRO ने अपने एक्स हैंडल पर विक्रम लैंडर की दोबारा सफल लैंडिंग के मायने बताए हैं।
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- आने वाले समय में किसी भी यान को चंद्रमा पर भेजना और सैंपल लेकर वापस धरती पर लाना संभव होगा।
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- यही तकनीक चंद्रमा पर इन्सानों को बसाने और उन्हें फिर सुरक्षित धरती पर लाने में भी सफल होगी।
इससे पहले ISRO ने 23 अगस्त को उस समय इतिहास रचा था जब चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
अभी स्लीप मोड में है प्रज्ञान रोवर
चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर अभी स्लीप मोड में है। दरअसल, चंद्रमा पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है। 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। अब प्रज्ञान रोवर स्पीप मोड में है।
14 दिन बाद चंद्रमा पर जब सूर्योदय होगा, तब इसको रोवर को एक बार फिर चालू करने की कोशिश करेगा। यदि रोवर ठीक से काम करने लगा, तो यह भी इसरो की बड़ी कामयाबी होगी और वह 14 दिन और चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर सकेगा।