पूजा खेडकर पर केंद्र सरकार का फाइनल एक्शन! भारतीय प्रशासनिक सेवा से की गईं बर्खास्त
पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए अनुचित तरीके से यूपीएससी में चयन पाने का आरोप है। केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। इससे पहले यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। पूजा खेडकर लाल-नीली बत्ती मांग विवाद से चर्चा में आई थीं।
HighLights
- ओबीसी और दिव्यांग कोटे का दुरुपयोग कर परीक्षा पास की।
- नाम व पहचान बदलकर यूपीएससी में सफलता प्राप्त की।
- संघ लोक सेवा आयोग ने 31 जुलाई को उम्मीदवारी रद्द की थी।
एजेंसी, नई दिल्ली। बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर भारत सरकार ने फाइनल एक्शन ले लिया है। केंद्र सरकार ने उनको तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त कर दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप था कि उन्होंने ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का दुरुपयोग कर यूपीएससी की परीक्षा में लाभ उठाया था। उनके खिलाफ संघ लोक सेवा आयोग ने 31 जुलाई को कड़ा एक्शन लिया था। उनकी उम्मीदवारी को ही रद्द कर दिया गया था। उसके साथ ही यह तय किया था कि वह भविष्य में कोई परीक्षा भी नहीं दे पाएं।
आपको बता दें कि 2020-21 में पूजा दिलीपराव खेडकर के नाम से उन्होंने ओबीसी कोटे का इस्तेमाल किया। इस अटेम्प्ट में वह सफल नहीं हो पाईं। उन्होंने एक बार फिर 2021-22 में परीक्षा दी, लेकिन इस बार ओबीसी के साथ-साथ दिव्यांग कोटे का भी इस्तेमाल किया। इस बार उन्होंने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर नाम का इस्तेमाल कर परीक्षा दी। इस बार वह सफल हुईं। उनकी ऑल इंडिया 821वीं रैंक आई थी।
पहचान बदलकर पाई सफलता
पूजा खेडकर ने अपना नाम, माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी पहचान छिपाई। उन पर आरोप लगा कि इस हेराफेरी के दम पर उन्होंने परीक्षा में सफलता पाई। उनको सीएसई 2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कार्रवाई की गई।
पुणे के कलेक्टर ने लगाए थे गंभीर आरोप
विवाद के दौरान उनका ट्रांसफर वाशिम जिले में हुआ था। उनको वहां का असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया था। इस दौरान पुणे के कलेक्टर डॉ. सुहास दिवसे ने उनके आचरण के खिलाफ मुख्य सचिव को लेटर लिखा था। इसमें उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए यूपीएससी में चयन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी और दृष्टिबाधित श्रेणी से उनको रियायत मिली थी। इसी के दम पर वह आईएएस बन पाईं।