संसद में हंगामे से नाराज लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को मनाने पहुंचे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेता

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र (Parliament monsoon session 2023) में विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इसे पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। ताजा खबर यह है कि अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और उनसे सदन की अध्यक्षता करने का अनुरोध किया। बता दें, हंगामा से नाराज ओम बिरला कल से लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठे हैं।

गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, बीएसपी के रितेश पांडे, बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल, टीएमसी के सौगत रॉय, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और डीएमके की कनिमोझी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे लोकसभा की अध्यक्षता करने की आग्रह किया। सभी ने आश्वासन दिया कि वे सदन की गरिमा बनाए रखेंगे।

 

इससे पहले हंगामे से नाराज होकर ओम बिरला ने कहा था कि जब तक दोनों पक्ष संसद सुचारू रूप से चलाने में पहल नहीं करते हैं, तब तक वे सदन की अध्यक्षता नहीं करेंगे।
यही कारण है कि बुधवार को ओम बिरला संसद पहुंचे, लेकिन अपने ऑफिस में ही बैठे रहे। उन्होंने लोकसभा में आने से इनकार कर दिया।

 

विपक्ष के बर्ताव से नाराज स्पीकर

सूत्रों के अनुसार, ओम बिरला सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सदस्यों के बर्ताव से भी नाखुश हैं। कुछ सदस्यों ने अप्रत्यक्ष रूप से स्पीकर पर ही आरोप लगाए हैं। बहरहाल, ओम बिरला के रुख पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

 

धनखड़ बोले, पीएम को सदन में मौजूद रहने का निर्देश नहीं दे सकते

इस बीच, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते। विपक्षी नेता संसद के उच्च सदन में भी मणिपुर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं।
विपक्षी नेता राज्यसभा के नियम 267 के तहत मणिपुर में जातीय हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। मांग न मानने जाने पर विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
बुधवार को राज्यसभी कार्यवाही शुरू होने से पर सभापति के समक्ष सूचीबद्ध कागजात पेश किए गए। इसके बाद धनखड़ ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत मणिपुर में अशांति पर चर्चा की मांग के लिए 58 नोटिस मिले हैं।
बता दें, संसद का मौजूदा सत्र 20 जुलाई से शुरू हुआ था, लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है और कोई कामकाज नहीं करने दे रहा है। विपक्ष ने पहले मणिपुर हिंसा पर चर्चा की बात की। सरकार भी राजी हो गई तो किस नियम के तहत चर्चा हो, इस पर विवाद शुरू कर दिया।

 

विपक्ष इस बात पर अड़ा है कि प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए और जवाब देना चाहिए। जबकि कानून व्यवस्था का मामला होने के कारण यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जिम्मेदारी और वे सदन में बयान देने के लिए तैयार है।

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