चीन की कोरोना वैक्सीन बेकार! लाखों डोज लगाने के बाद भी लॉकडाउन के लिए मजबूर हुआ ड्रैगन

कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित ज्यादातर देशों में हालात अब सामान्य हो रहे हैं। वहीं चीन में एक बार फिर से कोविड-19 केस बढ़ रहे हैं, जिस पर काबू पाने में प्रशासन को काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं। हालात हर गुजरते दिन बदतर होते जा रहे हैं। ड्रैगन में बने इस संकट के दो अहम कारण हैं। सबसे पहले, बीजिंग की ‘जीरो कोविड’ पॉलिसी का फेल होना और दूसरा है कोरोना वायरस के खिलाफ चीनी वैक्सीन्स असरदार साबित नहीं होना।

चीनी वैक्सीन SinoVac और SinoPharm कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए विकसित किए गए पहले टीकों में से हैं। चीन ने इन टीकों को अलग-अलग देशों में निर्यात किया और कुछ गरीब देशों को दान भी दिया। समय के साथ इन टीकों के अप्रभावी होने की शिकायतें आने लगीं, लेकिन चीन ने इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया।

चीनी वैक्सीन SinoVac ओमिक्रॉन के खिलाफ नाकाम!
कई देशों ने कोरोना के खिलाफ एक अतिरिक्त खुराक जारी की, जिसे बूस्टर शॉट के रूप में भी जाना जाता है। यह उन्हें लगाया गया जो पहले से ही टीकाकरण करा चुके थे। दिसंबर के अंत में जब ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से फैल रहा था, तब चीन की SinoVac इससे मुकाबला करने में काफी हद तक असफल रही।

हांगकांग विश्वविद्यालय की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार, SinoVac ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी विकसीत करने में नाकाम साबित हुई। इसके अलावा, यह उन लोगों में पर्याप्त स्तर की सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रही, जिन्हें पहले ही इसकी दो खुराक लग चुकी थी। यह निश्चित रूप से चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि 2021 तक यहां की 1.6 बिलियन आबादी को 2.6 मिलियन से अधिक खुराक दी है।

SinoVac लेने के बाद भी 3% बुजुर्गों की मौत
एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 80 वर्ष से अधिक आयु के 3 प्रतिशत लोगों की मौत चीनी वैक्सीन SinoVac की दो खुराक लेने के बाद हुई। एक खुराक लेने वालों में मृत्यु दर 6 प्रतिशत है। इसके अलावा, चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के एक दस्तावेज से पता चला है कि चीनी टीके की वजह से ल्यूकेमिया की शिकायत बढ़ने लगी।

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