बार-बार हो रही सांस-खांसी की दिक्कत, जानें डॉक्टर की सलाह…

खांसी और सांस से जुड़ी दिक्कतें लापरवाही पर खतरनाक रूप ले सकती हैं। अगर आपके घर में बच्चे या बुजुर्ग हैं तो खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। उम्र बढ़ने पर कौन सी वैक्सीन दी जाए और लंग्स के कौन से लक्षण खतरनाक हैं, इन सबका जवाब दे रहे हैं, मेदांता गुरुग्राम के डॉक्टर डॉ विवेक सिंह (रिस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन)।

सवाल: मेरे बेटे की उम्र 16 साल है। हाल में पता चला कि वह वेपिंग करता है। उसे समझाया तो उसका कहना है कि इसका नुकसान नहीं होता। वेपिंग (ई-सिगरेट) का फेफड़ों की सेहत पर क्या असर हो सकता है? यह आदत कैसे छोड़ी जा सकती है?

जवाब: वेपिंग भी फेफड़ों के लिए उतनी ही नुकसानदायक है, जितना सिगरेट पीना। पेपर के जलने के उत्पाद वेपिंग में नहीं होते, लेकिन वेपिंग भी फेफड़ों की बीमारी का जोखिम बढ़ाती है। पहली चीज इसे छोड़ने के लिए व्यक्ति का मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। निकोटिन की निर्भरता मन से जुड़ी होती है, ऐसे में इसे छोड़ने के लिए मन की दृढ़ता जरूरी है। दूसरा, इसके लिए कोई दवा ऐसी नहीं है, जो आपको इसमें मदद करें। पर, काउंसलिंग की मदद से जरूर इस आदत को छोड़ने में मदद मिल सकती है।

सवाल: मेरी उम्र 55 साल है। मुझे जल्दी-जल्दी खांसी हो जाती है। हाल में एक्स-रे भी करवाया। जिसमें रिपोर्ट में एक नोड्यूल लिखा है। हालांकि, डॉक्टर ने कुछ नहीं कहा और दवाएं दे दी हैं। पहले से थोड़ा आराम है। पर इंटरनेट पर जो जानकारी थी, वह डरा रही थी। क्या यह समस्या गंभीर है? मुझे दूसरे डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्या?

जवाब: अगर लंग्स में नोड्यूल रिपोर्ट होता है तो उसकी जांच जरूर होनी चाहिए। ऐसे में सबसे पहले डॉक्टर मरीज का एक कंट्रास्ट सीटी स्कैन कराते हैं, जिससे पता चलता है कि नोड्यूल दिखता कैसा है। अगर नोड्यूल की अपीयरेंस में ऐसा शक लगता है कि ये सक्रिय बीमारी की वजह से है तो उसकी जांच होनी चाहिए, जो ब्रोंकोस्कोपी या बायोप्सी की मदद से की जा सकती है। और अगर नोड्यूल के साथ रोगी को कोई लक्षण भी है तो उसको अवश्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर नोड्यूल के साथ कोई लक्षण नहीं है तो तीन महीने के बाद एक सीटी स्कैन कराना चाहिए। अगर नोड्यूल के साइज में कोई बदलाव नहीं हुआ है तो उसे ऑब्जरवेशन के लिए छोड़ देना चाहिए। पर, अगर नोड्यूल का आकार बड़ा है और उसके रूप में परिवर्तन आया है तो उसकी जांच जरूर होनी चाहिए।

सवाल: मेरी माताजी की उम्र 65 साल हैं। उन्हें अक्सर खांसी, सांस फूलने की समस्या रहती है। उन्हें जल्दी-जल्दी यह होता है। क्या बुजुर्गों के लिए खास तरह के टीके होते हैं?

जवाब: जी हां, जो भी इनसान 60 साल से ऊपर है, उन्हें साल में एक बार फ्लू की वैक्सीन लगवानी चाहिए और 5 साल में एक बार निमोनिया की वैक्सीन लगवानी चाहिए। टीकों के अलावा ये जानना बहुत जरूरी है कि खांसी आना और सांस फूलने का कारण कोई बीमारी तो नहीं है। अगर किसी को श्वसन से जुड़ी बीमारी है जैसे अस्थमा, तो उसका इलाज होना चाहिए। मौसम के बदलाव के साथ अगर बार-बार खांसी होती है तो ये शुरुआती दमा के लक्षण हो सकते हैं।

सवाल: मैं धूम्रपान नहीं करता, पर जिन लोगों के साथ मुझे काम करना पड़ता है, वे धूम्रपान करते हैं। मैं उन्हें मना नहीं सकता। मैं अपने फेफड़ों पर से धूम्रपान के असर को कैसे कम कर सकता हूं।

जवाब: सबसे पहली और जरूरी चीज तो यही है कि जितना हो सके, उन लोगों से उस समय खासतौर पर दूर रहें जब वे धूम्रपान कर रहे हों। अप्रत्यक्ष धूम्रपान भी उतना ही खतरनाक है। इसके अलावा अपने आहार में बदलाव लाएं। पौष्टिक आहार लें, प्रोटीन का सेवन अधिक करें। मौसमी फल व सब्जियां खाएं। नियमित व्यायाम से अपने फेफड़ों को मजबूत बनाएं।

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