14 विपक्षी दलों में सहमति संभव, लेकिन आप-कांग्रेस में समझौता असंभव; जानें

नई दिल्ली।  2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिश हो रही है। इसके लिए 14 दलों के बीच आपसी सहमति की संभावना दिख रही है। हालांकि, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच किसी भी तरह का समझौता मुश्किल होगा। दोनों दलों के नेताओं ने शनिवार को इसके संकेत दिए हैं। शुक्रवार को पटना में हुई बैठक के बाद आप के पदाधकारियों ने इस बात पर अपसोस जताया है कि बैठक के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी से दोनों दलों के नेताओं के बीच चाय पर बैठक की तारीख तय करने के लिए हाथ जोड़कर अनुरोध किया था, जिसपर की कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।

वहीं, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी ने अध्यादेश पर एक शब्द भी नहीं कहा और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पटना में इस मुद्दे पर कांग्रेस की स्थिति की घोषणा नहीं की। उन्होंने कहा कि किसी भी निर्णय पर पहले पार्टी के भीतर चर्चा की जानी चाहिए।

हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से अध्यादेश की निंदा करने की अपील की है। आप पदाधिकारियों ने कहा कि राहुल गांधी ने अध्यादेश पर कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट कराने के लिए दिखाई जा रही उत्सुकता पर सवाल उठाया। कांग्रेस नेताओं ने ऐसे किसी भी बयानव की पुष्टि नहीं की है।

AAP की अपील का कांग्रेस पर कोई असर नहीं
आपको बता दें कि पटना में हुई महाजुटान में अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब के सीएम भगवंत मान, सांसद राघव चड्ढा और संजय सिंह शामिल हुए। विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस से अध्यादेश की निंदा करने का आग्रह किया। हालांकि, इसका कोई असर नहीं हुआ। यही वजह है कि आम को कोई भी नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुआ।

आप ने दिखाए तेवर
अरविंद केजरीवाल इस विषय पर तत्काल निर्णय चाहते थे, लेकिन अन्य दलों के नेताओं का विचार था कि इसके लिए समय दिया जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने कहा कि अगर विपक्षी दलों ने सार्वजनिक रूप से अध्यादेश की निंदा नहीं की तो भविष्य में विपक्षी दलों की बैठकों में भाग लेना मुश्किल हो जाएगा।

AAP के साथ कांग्रेस का गठबंधन असंभव
कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को इस बात का संकेत दिया कि AAP के साथ किसी भी चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना लगभग शून्य के बराबर है। वहीं, कांग्रेस तमिलनाडु, बिहार, केरल, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में अपने मौजूदा गठबंधनों को मजबूत करने पर विचार करेगी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ समझौते की भी संभावना है।

कांग्रेस ने गिनाए कारण
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”जिस तरह से आप कई राज्यों में कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है, उससे हमारे लिए उसके साथ गठबंधन पर विचार करना मुश्किल होगा। उन्होंने गोवा और कर्नाटक में केवल भाजपा की मदद के लिए लड़ाई लड़ी। दिल्ली और पंजाब में वे हमारे मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। हम इन दोनों जगहों पर AAP को सीटें नहीं दे सकते।”

दिल्ली कांग्रेस कर रही विरोध
कांग्रेस की दिल्ली इकाई आप का कड़ा विरोध कर रही है और किसी भी संभावित गठबंधन को उसका समर्थन मिलने की संभावना नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली में कांग्रेस के प्रमुख चेहरा अजय माकन ने कहा, ”हमें आम आदमी पार्टी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए।” माकन ने यह भी आरोप लगाया कि आप का भाजपा-आरएसएस के साथ गहरा संबंध है। आप का गठन करने से पहले ही उन्होंने किरण बेदी और जनरल वीके सिंह से समर्थन लिया था।

नीतीश के बाद केजरीवाल ही बोले
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पटना बैठक में केजरीवाल ने अध्यादेश का मुद्दा उठाकर विपक्षी एकता और साझा एजेंडे से ध्यान हटाने की कोशिश की। वहीं, आप के करीबी लोगों ने बताया कि पटना बैठक की शुरुआत में नेताओं ने विपक्षी एकता पर बात की। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद अरविंद केजरीवाल बोलने वाले दूसरे व्यक्ति थे। उन्होंने विपक्षी एकता पर अपने विचार साझा किए और भाजपा को हराने के लिए क्या फार्मूला होना चाहिए, इस पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आप का मुख्य मुद्दा अध्यादेश था।

आप के एक वरिष्ठ नेता ने केजरीवाल के हवाले से कहा, “अध्यादेश लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। लोकतंत्र और संविधान का पक्षधर कोई भी व्यक्ति अध्यादेश के पक्ष में खड़ा नहीं हो सकता है। हमारा मानना है कि कांग्रेस पार्टी अध्यादेश के पक्ष में खड़ी नहीं हो सकती। जब आप अध्यादेश के समर्थन में खड़े नहीं हो सकते, तो सार्वजनिक रूप से अध्यादेश की निंदा करें।”

भाजपा-कांग्रेस का विकल्प बनना चाहती है AAP
आप ने खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश किया है। दिल्ली और पंजाब में इसका उदय कांग्रेस की कीमत पर हुआ है। आप कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जहां कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है।

विपक्षी एकता के लिए एक प्रमुख चुनौती पेश करते हुए अध्यादेश को आगामी मॉनसून सत्र में मंजूरी के लिए संसद में लाए जाने की संभावना है। तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दलों और भारत राष्ट्र समिति जैसी कई पार्टियों ने आप को समर्थन का आश्वासन दिया है। कांग्रेस ने अभी तक सार्वजनिक घोषणा नहीं की है।

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