UP LS Election 2024: यूपी में भाजपा का मिशन ‘क्लीन स्वीप’, जानिए 80 में से 80 सीट जीतने की रणनीति
HIGHLIGHTS
- विधानसभा चुनाव में फेल हो चुके सपा-कांग्रेस गठबंधन से चमत्कार की उम्मीद नहीं
- बसपा के अकेले चुनाव लड़ने का फायदा भाजपा को होगा
- गांधी परिवार की परंपरागत अमेठी और रायबरेली सीट पर भी संकट
अजय जायसवाल, लखनऊ। लोकसभा सीटों के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा की जबरदस्त तैयारी चल रही है। पार्टी इस बार मिशन ‘क्विन स्लीप’ लेकर चल रही है। मतलब सभी 80 में से 80 सीट पर फतह हासिल करना।
2017 के विधानसभा चुनाव में मिली जबरदस्त जीत के बाद से भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। विधानसभा चुनाव में भी यूपी की जनता ने ‘दो लड़कों’ वाले कांग्रेस और सपा के गठबंधन को नकारा था और इस बार भी कुछ ऐसे ही संकेत हैं। यहां समझिए यूपी का मौजूदा सियासी समीकरण और पिछले दो लोकसभा चुनावों के आंकड़ों से जानिए कि किस तरह भाजपा विरोधी दल लगातार कमजोर हो रहे हैं।
सियासी हालात बदले, लेकिन नहीं बदला नतीजा
2014 लोकसभा चुनाव: भाजपा के सामने कोई गठबंधन नहीं था। तब भाजपा ने करीब 43 फीसदी वोट हासिल करते हुए 80 में से 71 सीट पर जीत दर्ज की। सपा 5 सीट जीती, तो कांग्रेस का आंकड़ा 2 सीट पर आकर थम गया। बसपा का तो खाता भी नहीं खुला।
2019 लोकसभा चुनाव: भाजपा और नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बसपा ने हाथ मिलाया। रालोद ने भी साथ दिया। हालांकि नतीजा भाजपा के पक्ष में ही रहा। मोदी लहर के बीच भाजपा ने करीब 50 फीसदी वोट शेयर के साथ 61 सीट जीती। बसपा 10 सीट, सपा 5 सीट और कांग्रेस 1 सीट पर सिमट कर रह गए।
2024 लोकसभा चुनाव: इस पर पिछले दो चुनावों की तुलना में स्थिति अलग है। सपा ने इस बार कांग्रेस से हाथ मिलाया है और बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है। भाजपा के आत्मविश्वास को देखते हुए नहीं लगता कि परिणाम कुछ अलग होगा। बसपा के तीसरी ताकत के रूप में लड़ना भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है।
इस बार रालोग भी भाजपा के साथ है। जातीय समीकरण बैठने के लिए अपना दल (एस), निषाद पार्टी और सुभासपा जैसे क्षेत्रीय दलों को एनडीए में शामिल किया गया है।