शरद पवार और नीतीश कुमार से ही नहीं बनेगी कांग्रेस की बात? क्यों जरूरी है केजरीवाल और ममता का भी साथ
नई दिल्ली। कांग्रेस नेतृत्व ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ पूरे विपक्ष को एकजुट करना शुरू कर दिया है। इसके लिए हाल ही में एक रणनीति भी तायर की गई थी। इसके लिए जल्द ही एक बैठक होने वाली है, जिसके लिए तमाम विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को बुलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हाल ही में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार, जेडीयू नेता नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ बैठक की थी। इन बैठकों के बाद एक विपक्षी सम्मेलन की योजना बनाई गई।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे के साथ बैठक की थी। उन्हें दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, बैठक की तारीख और जगह अभी तय नहीं की गई है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र की गद्दी गंवाने वाले उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दलों की इस जुटान के निर्णय का गर्मजोशी से स्वागत किया। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले की नई दिल्ली की यात्रा के दौरान कुछ भी उत्साहित करना वाला काम नहीं हुआ। वेणुगोपाल ने उनसे कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करने के लिए कुछ घंटे निकालने का अनुरोध किया। इसके अलावा राहुल गांधी के भी उद्धव ठाकरे के घर जाने के संकेत मिल रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने बैठक की योजना के बारे में शरद पवार और एमके स्टालिन (डीएमके) को पहले ही विश्वास में ले लिया है।
ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व के लिए शरद पवार, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और एमके स्टालिन जैसे सहयोगी दलों के नेताओं और CPI-M और CPI जैसे दलों को एकसाथ लाना आसान काम है। कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय दिग्गजों को अपने पाले में लाने के लिए शरद पवार और नीतीश कुमार जैसे माहिर नेताओं पर अधिक निर्भर रहना होगा। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, केसीआर, अरविंद केजरीवाल जैसे दिग्गजों को साथ लाना आसान नहीं होगा।
शरद पवार और नीतीश कुमार दोनों ने हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व के साथ बैठक की थी, जिसमें राहुल गांधी भी मौजूद रहे। विपक्षी एकता दिखाने के अलावा बैठक में कुछ सामान्य मुद्दों को तय करने की उम्मीद है, जिस पर विपक्ष खुद को भाजपा और मोदी शासन के खिलाफ खड़ा कर सकता है।