ठंड में बच्चों को होता है निमोनिया का खतरा, एक्सपर्ट से जानिए बचाव के तरीके

राजधानी में ठंड से लोगों का बुरा हाल है। कंपकंपाती सर्दी में बड़े और बच्चे दोनों परेशान है। ठंडी का ये मौसम अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है। बात करें बच्चों की तो इसी मौसम में उन्हें निमोनिया होने का खतरा होता है। डॉक्टरों के मुताबिक, तापमान में गिरावट और प्रदूषण की दोहरी मार बच्चों पर भी पड़ रही है। दिल्ली के तीन अस्पतालों में निमोनिया के 70 से अधिक निमोनिया पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है।

दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से जुड़े कलावती सरन अस्पताल में 32, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में 20 और सफदरजंग अस्पताल में 19 निमोनिया पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में बच्चों की सेहत पर नजर रखना बेहद जरूरी है।

ये दिखते हैं लक्षण

नमोनिया का संक्रमण होने पर कुछ बच्चों को खांसी और हल्का बुखार है। वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका खाना पीना कम हो गया है और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। एम्स के बाल रोग विभाग के डॉक्टर एस काबरा ने बताया कि बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए। बच्चों में तेज सांस लेना, सीने में घरघराहट आदि भी निमोनिया के संकेत हो सकते हैं। इसमें पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

टीका जरूर लगवाएं

दिल्ली के चाचा नेहरू अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर याचिका वशिष्ठ ने बताया कि निमोनिया से बचाव के लिए कई टीके उपलब्ध हैं, जो इस संक्रमण को रोकने और जटिलताओं से बचाने में बच्चों की मदद कर सकते हैं। फ्लू वैक्सीन इस संक्रमण से बचाने में मददगार हो सकती है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चों के टीकाकरण के साथ-साथ निमोनिया से बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। इनडोर प्रदूषण से बचाव करें।

इस तरह मजबूत करें इम्यूनिटी

डॉक्टर नीतू जैन, सांस रोग विशेषज्ञ के मुताबिक बच्चों को कम से कम 20 सेकंड के लिए नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से धोना चाहिए। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें। पर्याप्त आराम करें, संतुलित आहार लें।

ऐसे होते हैं बीमार

संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर हवा में बूंदें फैलती हैं। नतीजतन, जब दूसरे लोग सांस लेते हैं, तो वे संक्रमित हो सकते हैं।

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