एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण 15 साल की किशोरी की मौत , पिता प्रशासन से लगाता रह गया गुहार
वाराणसीः में सरकारी दावों की एक बार फिर पोल खुली है। एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण 15 साल की किशोरी की मौत हो गई है। किशोरी को लेकर परिजन पहले इलाके के निजी अस्पतालों का चक्कर काटते रहे लेकिन कुछ दिनों से अस्पतालों में चल रही छापेमारी के कारण किसी ने भर्ती नहीं किया। इस पर माता-पिता सड़क किनारे ही बेटी को लेकर पड़े रहे और एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे। किसी ने 112 पर जानकारी दी तो पुलिस पहुंची। पुलिस ने भी एम्बुलेंस को फोन किया। तब भी नहीं आई तो अपनी गाड़ी में पुलिस ने किशोरी को लाद लिया। लेकिन तब तक देरी हो चुकी थी।
रोहनिया थाना क्षेत्र के जमीन बैरवन की दलित बस्ती के ओमप्रकाश को दो बेटियां सुषमा (15), सुष्मिता (10) और दो साल के बेटा देवशंकर समेत छह बच्चे हैं। रात में सुषमा ने खाना बनाया। सभी खाकर सो गये। रात में तीनों बच्चों को उल्टी, दस्त और पेट दर्द शुरू हो गया।ओमप्रकाश और उसकी पत्नी रेखा तीनों बच्चों को साइकिल पर लेकर घर से निकले और आसपास के कई क्लीनिक पहुंचे। कुछ दिनों से अस्पतालों में चल रही छापेमारी के कारण किसी ने भर्ती नहीं किया।
इसके बाद सुबह करीब आठ बजे मोहनसराय चौराहे पर आये। सरकारी एंबुलेंस के लिए 108 मिलाया। दो घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं आई। इस दौरान सड़क किनारे बेटी छटपटाती रही। किसी ने डायल 112 पर सूचना दी।पुलिस पहुंची और फिर से एंबुलेंस के लिए फोन की। इसके बाद भी एम्बुलेंस नहीं आई तो अपने वाहन में बच्चों को लेकर अस्पताल के लिए पुलिस निकली। तब तक एंबुलेंस आ गई। एंबुलेंस से बच्चों को लेकर मां-पिता मिसिरपुर सीएचसी पहुंचे। वहां सुषमा की मौत हो गई।
सीएचसी प्रभारी डा. आरबी सिंह ने बताया कि तीनों बच्चों को डी-हाईड्रेशन व डायरिया था। तीनों को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। आने में देरी हुई थी। इलाज के दौरान सुषमा की मौत हो गई। बाकी दोनों बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस से भेजा गया। परिजनों की जिद पर एंबुलेंस से बच्चों व उनके मां-पिता को घर छोड़ दिया गया।