छत्तीसगढ़ में 1200 रुपये किलो मिल रही खुखड़ी, लेकिन कही बन ना जाए जानलेवा
अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग और झारखंड के वनक्षेत्रों पाए जाने वाली खुखड़ी यानी खास प्रकार का मशरूम इन दिनों मिलने लगी है। छह सौ से 1200 रुपये प्रतिकिलो की दर पर मिलने वाली सभी खुखड़ी खाने योग्य नहीं होतीं। कुछ बीमार कर देती हैं तो कुछ जानलेवा साबित होती हैं। ऐसे में उनकी पहचान करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए कृषि विज्ञानी डा. प्रशांत कुमार शर्मा ने शोध और परीक्षण कर खुखड़ी का वर्गीकरण किया है और पहचान उजागर भी की है, ताकि लोग जहरीली खुखड़ी खाने से बच सकें।
कृषि विज्ञानी डा. प्रशांत ने खाने योग्य 28 प्रकार की प्राकृतिक खुखड़ी की पहचान की है। जबकि बिलाई खुखड़ी, गंजिया खुखड़ी, लकड़ी खुखड़ी और लाल बादर को बेहद जहरीला माना है। इनमें विषैला एल्केलाइट पाया जाता है।इन पहचान को यदि शासन-प्रशासन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाई जाए तो लोगों की जान बचाई जा सकती है। पिछले वर्ष सरगुजा क्षेत्र में 46 लोग जहरीली खुखड़ी खाकर बीमार हुए थे। इस बार भी अबतक 20 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं। झारखंड में भी इसी तरह के मामले सामने आते रहे हैं।
सरगुजा संभाग वन संपदा से भरपूर है,जैव विविधता में में यहां बहुत विभिन्नता देखने को मिलती है इसीलिए संभाग में 28 से भी अधिक प्राकृतिक मशरुम जिसे स्थानीय बोली में खुखड़ी कहते हैं,यहां के जंगलों में पाए जाते हैं पर सभी मशरुम यानी खुखड़ी खाने योग्य नही होते हैं। संभाग के जंगलों में पाए जाने वाले कुछ ऐसे मशरूम भी हैं जिसका सेवन जानलेवा भी हो सकता है। यहां पाए जाने वाले खाने योग्य प्राकृतिक खुखड़ी में चिरको, सुगा, छेरकी, भैसा, बांस, भूडू, जाम, दुधिया, चरचरी, कठवा, करीया,तीतावर,पिवरा,झरिया,कुम्हा, क्षरकेनी शामिल हैं।इन सभी खाने योग्य खुखड़ी की पहचान विज्ञानी डॉक्टर प्रशांत शर्मा ने की है।
ये हैं जहरीला खखुड़ी-
सरगुज़ा संभाग व झारखंड में कुछ मशरूम है जिसका सेवन स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है।संभाग में पाए जाने वाले बिलाई खुखड़ी,गंजिया खुखड़ी,लकड़ी खुखड़ी,लालबादर,बनपिवरी शामिल है।
कैसे करे विषैले मशरुम (खुखड़ी) की पहचान-
कृषि विज्ञानी व बायोटेक पार्क के प्रभारी डॉ प्रशांत कुमार शर्मा ने बताया कि स्थानीय स्तर पर पाए जाने वाले चटक रंग के प्राकृतिक खुखड़ी जैसे-लाल, नीला, पीला, हरा, बैगनी, नारंगी रंग के मशरुम को खाने में प्रयोग न करें, ये चटक रंग मशरुम में पाए जाने वाले एलकेलाइएड्स (विष) के कारण होते है, जो इसमें कम या ज्यादा हो सकते हैं।उन्होंने बताया कि खुखड़ी में अगर तीखी अमोनिया या सड़ी हुई गंध आ रही हो तो उसे न खाएं, ये जानलेवा हो सकती है।खुखड़ी में अगर कोई चिपचिपा पदार्थ निकल रहा हो या पानी की बूंद निकल रही हो तो उसका उपयोग खाने में न करे, ये विषैले होते है।खुखड़ी में अगर छतरी के पास या तना में रिंग्स बने हो तो उस खुखड़ी का प्रयोग खाने में न करे, ये एलकेलाइएड्स (विष) की उपस्थिति बतलाती है।खुखड़ी की छतरी अगर चपटी हो तो उस मशरूम को खाने से बचे, ऐसे मशरुम विषयुक्त होते है।
खुखड़ी-पुटु में विषाक्तता के कारण हो सकता है ये –
डॉ प्रशांत बताते हैं की प्राकृतिक मशरूम जो खाने योग्य नही होते और जिसके सेवन से उल्टी दस्त बेचैनी या बेहोशी आती है,उसका मूल कारण उस मशरुम या खुखड़ी में पाए जाने वाले टॉक्सिन के कारण होते हैं ये विष या टॉक्सिन ईबोटेनिक एसिड, अमोटोक्सिन, एस्पिरिन, ओरेलेनिन, कोपरिन, अरबिटोल, एर्गोमेटाइन, मुसिमोल, अल्फा-अमनितिन, फॉलोटोक्सिन, कोपरिन, बॉल्सटाइन, जीरोमीटरिंन जैसे स्वास्थ के लिए हानिकारक अल्कलाइएड्स और बेरिलियम, कैडमियम, थैलियम और सेलेनियम जैसे भारी जहरीली धातुओं की अधिकता के कारण होती है।