अंग्रेजों के दौर का यह फैसला बदल सकता है ज्ञानवापी केस का रुख
मुस्लिम पक्ष बोला- सैकड़ों साल से पढ़ी जा रही नमाज
हिंदू पक्ष ने अपने तर्क में कहा है कि किसी भी मस्जिद का निर्माण उसी जमीन पर हो सकता है, जो वक्फ से ताल्लुक रखती हो। किसी भी मुस्लिम शासक के आदेश पर मंदिर के स्थान पर बनी मस्जिद को वैध नहीं माना जा सकता। वहीं मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी ने सीनियर वकील हुजेफा अहमदी के जरिए यह दावा किया है कि ज्ञानवापी में सैकड़ों साल से नमाज पढ़ी जा रही है और लोग वजू कर रहे हैं। इसके साथ ही उसने वजू खाने तक लोगों को जाने देने की परमिशन मांगी है, जिसे कथित तौर पर शिवलिंग पाए जाने के बाद सील किए जाने का आदेश दिया गया है।
‘मंदिर की जमीन पर बनी इमारत सिर्फ ढांचा है’
शीर्ष अदालत में हिंदू पक्ष ने कहा, ‘मंदिर की जमीन पर बनी कोई भी इमारत सिर्फ ढांचा ही हो सकती है, उसे मस्जिद नहीं कहा जा सकता। भगवान आदि विश्वेश्वर उस भूमि पर आज भी मालिकाना हक रखते हैं। यह जमीन किसी भी मुस्लिम, मुस्लिम संस्था अथवा वक्फ बोर्ड से ताल्लुक नहीं रखती है।’ माना जा रहा है कि यह तर्क भविष्य में केस की सुनवाई के लिए एक बड़ा आधार हो सकता है। यदि अदालत में हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार किया जाता है तो यह उसके लिए एक बड़ी बढ़त के तौर पर होगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 19 जुलाई की अपनी सुनवाई में सर्वे पर रोक से इनकार कर दिया था।