‘संघर्ष के दौर में नए मुकाम पर पहुंची भारत-जर्मनी की दोस्ती,’ ओलाफ स्कोल्ज से मुलाकात कर क्या बोले PM मोदी?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से मुलाकात की। जर्मन चांसलर तीन दिन के दौरे पर भारत आए हैं। पीएम मोदी ने एशिया-पैसिफिक कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी ऐसे समय में मजबूत सहारे के रूप में उभरी है जब दुनिया तनाव संघर्ष और अनिश्चितता का सामना कर रही है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से मुलाकात की। जर्मन चांसलर तीन दिन के दौरे पर भारत आए हैं। उन्होंने पीएम मोदी के साथ मिलकर एशिया-पैसेफिक कॉन्फ्रेंस ऑफ जर्मन बिजनेस 2024 का उद्घाटन भी किया।
वहीं इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कई अहम मुद्दों पर बात की, उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि, भारत-जर्मनी संबंध दो सक्षम और मजबूत लोकतंत्रों की एक परिवर्तनकारी साझेदारी है, न कि लेन-देन का संबंध।
‘दुनिया तनाव और संघर्ष के दौर से गुजर रही’
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, कानून के शासन और नेविगेशन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में, भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी उभर कर सामने आई है।
प्रधानमंत्री ने याद किया कि स्कोल्ज की यह तीसरी भारत यात्रा थी और यह भारत और जर्मनी के बीच दोस्ती के तीसरे बार मनाने का प्रतीक था।
रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहा सहयोग
पीएम मोदी ने आगे कहा, “2022 में बर्लिन में अंतिम आईजीसी में, हमने अपने द्विपक्षीय सहयोग के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए। दो सालों में, हमारे रणनीतिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है। हरित और सतत विकास जो आपसी विश्वास का प्रतीक बन गए हैं। ”
2011 में लॉन्च किया गया था IGC ढांचा
प्रधानमंत्री ने जर्मनी की तरफ से घोषित ‘भारत पर ध्यान केंद्रित’ रणनीति का भी स्वागत किया। मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को बढ़ाने के लिए हम कई नई और महत्वपूर्ण पहल कर रहे हैं और ‘संपूर्ण सरकार’ से संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं।’ आईजीसी ढांचा 2011 में लॉन्च किया गया था और यह विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की व्यापक समीक्षा और जुड़ाव के नए क्षेत्रों की पहचान की अनुमति देता है।