World Environmental Health Day: बदल रहा है इंदौर, अब शहर की सेहत सुधारने पर विशेष जोर

स्वच्छता में अपनी पहली पहचान बना चुका इंदौर अब अपने पर्यावरण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की पहल से स्वच्छ हवा और पानी मिलने में बड़ा योगदान मिला है। बंजर भूमि को हरित क्षेत्र में बदलने के लिए शहरवासी मेहनत कर रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. पौधारोपण अभियान ने हाल ही में बनाया रिकॉर्ड।
  2. वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से तालाबों तक हो रही सफाई।
  3. सौर ऊर्जा में भी आगे कदम बढ़ा रहा अपना इंदौर।

इंदौर। हमारा शहर केवल मानव स्वास्थ्य के प्रति ही सजग नहीं है, बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य को सुधारने में भी गंभीर प्रयास कर रहा है। शहर ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो पर्यावरण की रक्षा और उसे सशक्त बनाने में मददगार साबित हो रहे हैं।

एक समय था जब शहर के देवगुराड़िया क्षेत्र से गुजरते वक्त कचरे के ढेर नजर आते थे और दुर्गंध फैली रहती थी। ट्रेंचिंग ग्राउंड की अब सूरत बदल गई है और यहां से दुर्गंध दूर कर वायु को शुद्ध कर दिया गया है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जा रहे

यही वह शहर है, जिसके फेफड़े यानी सिरपुर तालाब और यशवंत सागर का नाम रामसर साइड की सूची में शामिल किया गया। यही नहीं, सिरपुर तालाब के पानी में दूषित जल नहीं मिले इसलिए यहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जा रहा है।

इस शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर भी पर्यावरण की सेहत सुधारने का प्रयास किया गया। शहर में हो रहे ये तमाम प्रयास इस बात का संकेत हैं कि हम इंदौरी पर्यावरण की सेहत का ध्यान रखने में किसी से पीछे नहीं।

शहर की फिजाओं को ऑक्सीजन का तोहफा

बीते दिनों इंदौर में पर्यावरण संवर्धन के लिए एक व्यापक पौधारोपण अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत शहर में लाखों पौधे लगाए गए, जिससे शहर की हरियाली में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

यह पहल न केवल पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायक है, बल्कि शहर के नागरिकों में भी पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है। नगर निगम और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया गया।

अभियान का मुख्य उद्देश्य शहर में हरियाली बढ़ाकर वायु प्रदूषण को कम करना था। पौधे लगाने का कार्य हर क्षेत्र में किया गया, चाहे वह सार्वजनिक स्थान हों या निजी उद्यान। इसके साथ ही, लोगों को पेड़ों की देखभाल करने के लिए जागरूक भी किया गया।

सौर ऊर्जा के उपयोग से सकारात्मक पहल

एयरपोर्ट रोड स्थित विद्याधाम मंदिर ने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंदिर में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल विद्युत की बचत हो रही है, बल्कि पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है।

श्रीविद्याधाम आश्रम ट्रस्ट के दिनेश शर्मा बताते हैं कि साढ़े चार एकड़ में फैला श्रीविद्याधाम आश्रम सौर उर्जा से रोशन हो गया है। इसके चलते अब श्रीविद्याधाम सौर ऊर्जा से रोशन शहर का एकमात्र धार्मिक स्थल बन गया है।

संयंत्र से हर दिन 300 से 400 यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी इस पहल से प्रेरित होकर अपने घरों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

निर्माल्य से बन रही खाद

प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में कचरे से खाद बनाने की एक अनूठी पहल शुरू की गई है। मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट बताते हैं कि मंदिर परिसर में एक विशेष संयंत्र स्थापित किया गया है, जो मंदिर के कचरे से जैविक खाद का निर्माण करता है।

इस पहल का उद्देश्य शहर के कचरे को नियंत्रित करना और उसे उपयोगी बनाना है। जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हो रही है। यह इंदौर के पर्यावरण के प्रति जागरूक दृष्टिकोण का एक और उदाहरण है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदौर के कदम

इंदौर का प्रयास केवल पौधारोपण, सौर ऊर्जा और खाद निर्माण तक सीमित नहीं है। शहर में भू-जल संवर्धन, प्रदूषण नियंत्रण और जैव विविधता संरक्षण के लिए भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। शहर में वाटर हार्वेस्टिंग के तहत बारिश के पानी का संरक्षण बढ़ाया जा रहा है।

शहर में इसके लिए 100 से अधिक वॉटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाए गए हैं। इसके अलावा, औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं।

शहर के विभिन्न हिस्सों में जैव विविधता पार्क बनाए गए हैं, जहां स्थानीय पौधों और जीव-जंतुओं को संरक्षित किया जा रहा है। इन प्रयासों से न केवल पर्यावरण में सुधार हो रहा है, बल्कि शहर के निवासियों में भी जागरूकता बढ़ रही है।

इन बातों पर भी ध्यान देना जरूरी

पर्यावरणविद्प द्मश्री भालू मोंढ़े ने शहर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। अगर इन पर अमल किया जाएगा, तो निश्चित रूप से आबो-हवा के मामले में भी इंदौर देश में नंबर बन सकता है।

  • जैव विविधता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • फलदार पौधों को फ्री में लोगों को बांटा जाए।
  • गांवों में भी हरियाली बढ़ाने की पहल की जाए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों को भी कचरा मुक्त बनाया जाए।
  • गांव के नदी, तालाब, कुएं पर ध्यान दिया जाए।
  • इलेट्रिक वाहनों को सस्ता किया जाना चाहिए।
  • जलस्रोतों को प्रदूषित होने से बचाना ही होगा।
  • बावड़ी और कुएं की साफ-सफाई करना जरूरी।

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