Gratuity Rules: क्या है ग्रेच्युटी, इसकी गणना कैसे की जाती है, जानिए सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए नियम
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Gratuity Rule: कंपनियां अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी राशि की पेशकश करती हैं। किसी कंपनी में तय अवधि तक काम करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है। यदि वह पूर्व निर्धारित अवधि से पहले जॉब छोड़ता है या बदलता है तो इसका लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी नियम अलग-अलग हैं। इसका जवाब ये है कि चाहे आप गर्वनमेंट कर्मचारी हो या निजी क्षेत्र में नौकरी करते हैं, ग्रेच्युटी नियम सबके लिए एक जैसे हैं।
इस महीने की शुरुआत में इलाहाबाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि कोई कर्मचारी 60 साल के बाद सेवानिवृत्त होना चाहता है या 62 वर्ष में सेवानिवृत्त होता है। तब उसे दोनों रूपों में ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। कई कंपनियों ने कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया, क्योंकि कर्मचारी ने 62 साल में रिटायरमेंट का विकल्प चुना था।
क्या है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी एक विशेष रकम है जो कंपनी अपने कर्मचारियों को देती है। जब कोई कर्मचारी एक ही संस्थान में पांच साल तक काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी का पात्र होता है। योजना का लाभ सभी सरकारी और निजी कर्मचारियों मिलता है। भुगतान और ग्रेच्युटी अधिनियम देश की सभी कंपनियों, कारखानों, खदानों, बंदरगाहों और रेलवे पर लागू होता है।
कर्मचारी को ग्रेच्युटी राशि कब मिलती है?
किसी संगठन में पांच साल तक काम करने के बाद कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने के पात्र हो जाते हैं। कुछ मामलों में यह सीमा कम होती है। ग्रेच्युटी एक्ट की धारा-2ए के मुताबिक, यदि कोई कर्मचारी भूमिगत खदान में काम करता है तो वह चार वर्ष और 190 दिन पूरे करने के बाद ग्रेच्युटी का लाभ ले सकता है। जबकि अन्य संगठनों में ग्रेच्युटी चार साल 240 दिन के बाद दी जाती है। ग्रेच्युटी का लाभ जॉब छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद मिलता है। नौकरी के दौरान इसका लाभ नहीं उठा सकते।
कैसे की जाती है ग्रेच्युटी की गणना?
ग्रेच्युटी की गणना आप आसानी से कर सकते हैं। मूल वेतन और महंगाई भत्ता (15/26)* (काम किए गए सालों की संख्या) जोड़कर ग्रेच्युटी की गणना कर सकते हैं।