नारायण मूर्ति, भाविश अग्रवाल और दक्ष गुप्ता… आखिर कंपनियों में वर्क-लाइफ बैलेंस पर क्यों छिड़ी बहस?
भारत में वर्क कल्चर को लेकर बहस काफी तेज हो गई है। सबसे पहले इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम की वकालत की। ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर भाविश ने एक पुराने इंटरव्यू में शनिवार-रविवार की छुट्टी को वेस्टर्न कल्चर बताया था। अब भारतीय मूल के एक सीईओ ने 84 घंटे के वर्कवीक की बात कही है जिस पर उन्हें धमकियां तक मिल रही है।
HIGHLIGHTS
- नारायण मूर्ति के मुताबिक, देश की तरक्की के लिए ज्यादा काम जरूरी।
- ओला के भाविश अग्रवाल भी वर्क लाइफ बैलेंस में यकीन नहीं करते।
- दक्ष गुप्ता के स्टार्टअप में कई बार रविवार को भी काम करना पड़ता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले दिनों इन्फोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने वर्क कल्चर को लेकर एक बयान दिया, जिस पर काफी बवाल मचा था। मूर्ति का कहना था कि वह वर्क-लाइफ बैलेंस में यकीन नहीं रखते। उनका मानना है कि लोगों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। मूर्ति ने पीएम नरेंद्र मोदी की मिसाल भी दी कि अगर वह हफ्ते में 100 घंटे काम कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं।
दक्ष को मिल रही जान से मारने की धमकियां
दक्ष गुप्ता ने अपने स्टार्टअप के वर्क कल्चर पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि ग्रेप्टाइल में काम सुबह 9 बजे शुरू होता है और रात 11 बजे तक जारी रहता है। उन्होंने कहा कि हम जॉब इंटरव्यू में कैंडिडेट को पहले ही राउंड में बता देते हैं कि हमारी कंपनी में वर्क-लाइफ बैलेंस की कोई गुंजाइश नहीं। शुरू-शुरू में ऐसा कहना थोड़ा अजीब जरूर था, लेकिन अब लगता है कि यह पारदर्शिता बरतना सही है।