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Vastu Tips: दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए करें आंवले के पेड़ से जुड़े ये उपाय

वास्तु शास्त्र के अनुसार, आंवले का पेड़ घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। इस पेड़ इस दिशा में लगाने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

HIGHLIGHTS

  1. जिस घर में आंवले का पेड़ होता है, वहां सुख-समृद्धि आती है।
  2. आंवले के वृक्ष के निचले भाग में भगवान ब्रह्मा का वास होता है।
  3. इसे जल देने से घर में देवी-देवताओं का वास होता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Vastu Tips: हिंदू धर्म में कई पेड़-पौधों को पूजनीय माना जाता है। उन्हीं में से एक है आंवले का पेड़ भी है। शास्त्रों के अनुसार, आंवले के वृक्ष में सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु का वास होता है। जिस घर में आंवले का पेड़ होता है, वहां सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है। ऐसे में हम आपको आंवले के पेड़ से जुड़े कुछ वास्तु नियम बताने जा रहे हैं।

इस दिशा में लगाएं पेड़

वास्तु शास्त्र के अनुसार, आंवले का पेड़ घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। इस पेड़ इस दिशा में लगाने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। प्रतिदिन इस वृक्ष की पूजा करने और जल देने से घर में देवी-देवताओं का वास होता है।

इस दिन लगाएं आंवले का पेड़

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में आंवले का पेड़ लगाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और धन से जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं। मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। आंवले का पेड़ लगाने के लिए गुरुवार और शुक्रवार को शुभ दिन माना जाता है।

जरूर करें यह उपाय

धार्मिक मान्यता है कि आंवले के वृक्ष के निचले भाग में भगवान ब्रह्मा, मध्य भाग में श्रीहरि और तने में देवों के देव महादेव का वास होता है। अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की समस्या आ रही है, तो आंवला एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की शाखाओं पर धागा बांधना चाहिए। इसके बाद दीपक जलाएं और आरती करें। माना जाता है कि इस तरह दांपत्य जीवन हमेशा सुखी रहता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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