नवरात्रि में ये 9 भोग लगाने से मां दुर्गा होती हैं प्रसन्न, घर में आएगी बरक्कत
शारदीय नवरात्र मां दुर्गा की पूजा का पर्व है। व्रत और पूजा से परिवार को माता का आशीर्वाद मिलता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र के दौरान नौ देवियों को प्रिय भोग अर्पित करने से पूजा सफल होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
HIGHLIGHTS
- शारदीय नवरात्रि में नौ दोवियों की होती है पूजा
- सभी नौ देवियों को प्रिय भोग अर्पित करना चाहिए
- दूध, चने, फल, खीर का भोग अर्पित करना चाहिए
धर्म डेस्क, इंदौर। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा को विशेष भोग अर्पित करना महत्वपूर्ण है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से परिवार के सदस्यों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नौ दिनों में अलग-अलग देवी की पूजा का विधान है, इसलिए भोग भी सभी देवियों के लिए अलग-अलग द्रव्यों का लगाया जाता है। माता को शहद, दुर्वा, साबूदाना, दूध, चने, फल, खीर और नवरतन भोग अर्पित किया जाना चाहिए।
पहला दिन
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन मां को गाय के घी से बना हलवा और रबड़ी का भोग अर्पित करना चाहिए।
दूसरा दिन
शारदीय नवरात्र का दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के पूजा का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाएं।
तीसरा दिन
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाने से धन लाभ के योग बनते हैं।
चौथा दिन
नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। इस दिन देवी मालपुआ का भोग लगाने से मां कुष्मांडा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पांचवा दिन
पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना का विधान है। मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाने से व्यापार और करियर में तरक्की होती है।
छठा दिन
शारदीय नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन देवी को शहद और फल का भोग लगाएं। इससे धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
सातवां दिन
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से बिगड़े काम पूरे होते हैं।
आठवां दिन
नवरात्र के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। देवी को नारियल का भोग लगाने से सभी मुरादें पूरी होती हैं।
नौवां दिन
शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना का विधान है। मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी और खीर का भोग लगाना चाहिए।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।