श्रीलंका में भारी विरोध के बीच राष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से हटाया आपातकाल, जानिए अभी कैसे हैं हालात
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार देर रात आपातकाल को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. देश में बढ़ते संकट के बीच एक अप्रैल को आपातकाल लागू किया गया था. मंगलवार देर रात जारी गजट अधिसूचना संख्या 2274/10 में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकाल नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है, जिससे सुरक्षाबलों को देश में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार मिले थे.
दरअसल, श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण जगह-जगह हिंसा शुरू हो गई थी, लोग घरों से निकलकर सड़कों पर प्रदर्शन करने लगे थे. जिसके बाद 4 अप्रैल को राष्ट्रपति ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया था. लेकिन मंगलवार देर रात तत्काल प्रभाव से इसे वापस ले लिया गया.
गौरतलब है कि, इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाले श्रीलंका के सत्तारूढ़ गठबंधन की नवनियुक्त वित्त मंत्री अली साबरी ने इस्तीफा दे दिया, वहीं दर्जनों सांसदों ने भी सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दिया था. इधर, बुरे आर्थिक संकट के दौरान राष्ट्र व्यापी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी है. कोरोना काल के चलते श्रीलंका के हालात बद से बदतर हो गए हैं.
श्रीलंका वर्तमान में सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. वो ऐतिहासिक आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइन, आवश्यक वस्तुओं की कम आपूर्ति और घंटों बिजली कटौती से जनता महीनों से परेशान है. आसमान छूते चीजों के दाम से तंग आकर जनता सड़कों पर उतरने लगी. जगह-जगह सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे. जिसके बाद आपातकाल लगा दिया गया था.
श्रीलंका पर बहुत ज्यादा कर्ज है. विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो चला है, जिसके कारण देश आयात के लिए भुगतान करने में पूरी तरह असमर्थ हो गया है. इसी कारण देश में ईंधन समेत अन्य जरूरत के सामानों की किल्लत हो गई है. जानकारों का कहना है कि, सरकार के मुफ्त वाले ऐलान और भारी मात्रा में कर्ज लेने के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई.