क्या रक्तदान करने से सच में कम हो जाता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
HIGHLIGHTS
- यदि हम नियमित तौर पर ब्लड डोनेट करते हैं तो खून में चिपचिपाहट कम हो जाती है।
- खून में यह चिपचिपाहट कोलेस्ट्रॉल के कारण होती है।
- शरीर में जब कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है तो हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। रक्तदान एक त्वरित और सरल प्रक्रिया है, जो आपात स्थिति में किसी मरीज की जान बचाने में काफी मददगार होती है। बहुत कम लोगों को पता है कि यदि आप निश्चित अंतराल के बाद लगातार रक्तदान करते हैं तो हार्ट अटैक का खतरा 80 फीसदी तक कम कर सकते हैं। नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पंकज वर्मा यहां ब्लड डोनेट करने के फायदा के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
खून में कम हो जाता है कोलेस्ट्रॉल
यदि हम नियमित तौर पर ब्लड डोनेट करते हैं तो खून में चिपचिपाहट कम हो जाती है। खून में यह चिपचिपाहट कोलेस्ट्रॉल के कारण होती है। शरीर में जब कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है तो हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है तो शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया 30 दिनों में फिर से पूरी होती है। ऐसे में Blood Donation से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है और शरीर में नया खून बनता है।
सिर्फ रक्तदान से दूर नहीं होता हार्ट अटैक का खतरा
डॉ. पंकज वर्मा के मुताबिक, यह मान लेना कि Blood Donation से हार्ट अटैक नहीं आएगा, ऐसा मान लेना भी पूरी तरह से ठीक नहीं है। हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना भी बहुत जरूरी है। संतुलित आहार लेने के साथ वजन को कंट्रोल करना चाहिए। धूम्रपान और शराब का सेवन कम करना चाहिए।
डॉ. पंकज वर्मा के मुताबिक, Blood Donation और हार्ट संबंधी रोगों में कमी का सीधा संबंध आयरन के कारण देखा गया है। Blood Donation से शरीर में आयरन का स्तर कम हो सकता है, इससे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और सूजन में कमी आती है। सूजन कम होने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। आयरन का स्तर कम होने से धमनियों के डैमेज होने का खतरा कम हो जाता है।