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मिथक तोड़ते मंदिर : यहां स्त्री रूप में विराजे हैं हनुमान

हमने परंपरा से जाना है कि स्त्रियों को भगवान हनुमान की प्रतिमा को हाथ नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि भगवान हनुमान बाल ब्रह्मचारी थे और महिलाओं से हमेशा दूरी बना कर रखते थे। भारत में भगवान हनुमान के कई मंदिर हैं और इनमें उनके अलग-अलग रूप के दर्शन होते हैं। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश में भगवान हनुमान का एक ऐसा मंदिर भी मौजूद है जहां उनकी पूजा महिलाओं के रूप में होती है।

जी हां, यह मंदिर मध्यप्रदेश स्थित ओरछा के नजदीक रतनपुर गांव में है। यहां पर हनुमान जी का स्वरूप महिलाओं जैसा है। कहते हैं कि दुनियाभर में मौजूद हनुमान जी के मंदिरों में यह एक ही अनोखा मंदिर है जहां हनुमान जी ने नारी का स्वरूप धारण कर रखा है।

क्या है कहानी

वैसे तो कई धार्मिक किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है कि हनुमान जी नारी स्वरूप में भी पूजे जाते हैं मगर प्रमाण की बात की जाए तो यह अनोखा मंदिर इस बात को सच साबित करता है कि पुराणों में लिखी बात सत्य है। मगर इस मंदिर के पीछे एक कहानी है। दरअसल मंदिर का निर्माण 25 किलोमीटर दूर बिलासपुर के राजा पृथ्वीदेवजू ने कराया था।

लोककथा के अनुसार यहां के राजा को कोढ़ थी। इस वजह से वह न तो किसी को छू पाता था और न ही अपनी वासना की इच्छा को पूरा कर पाता था। राजा भगवान हनुमान का बड़ा भक्त भी था। परेशान राजा हमेशा सुंदर महिलाओं के सपने देखता था। मगर असल जीवन में वह न तो शादी कर सकता था न किसी महिला को छू सकता था। एक दिन सपने में उसे एक ऐसी महिला दिखी जो, दिखने में महिला जैसी तो थी मगर उसका स्वरूप भगवान हनुमान से मिलता जुलता था।

सपने में राजा ने देखा कि हनुमानी जी जैसी दिखने वाली महिला ने उससे अपना एक मंदिर बनवाने की बात कही है और मंदिर के पीछे एक तालाब का निर्माण करने को कहा है। साथ ही उसने यह भी कहा कि तालाब में नहाने से उसका रोग दूर हो जाएगा।

दूसरे दिन उठ कर राजा ने सपने में देखी मूरत जैसी ही प्रतिमा बनवाने के आदेश दिए और एक मंदिर और तालाब का निर्माण भी करवाया और पूरे विधिविधान के साथ हनुमान जी की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करवाया। उस दिन के बाद से इस मंदिर में भगवान हनुमान के इसी स्वरूप की पूजा होती है।

इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार पूरी तरह से महिलाओं के जैसा किया जाता है। उन्हें जेवर भी महिलाओं वाले ही पहनाए जाते हैं। यहां तक कि हनुमान जी प्रतिमा को नथ भी पहनाई गई है।

भगवान राम करते हैं राज

हनुमान जी के इस अनोखे मंदिर के पास ही एक और अनोखा मंदिर है। यह मंदिर उन्हीं के परमपूज्य भगवान राम का है। इस मंदिर की कई खासियतें हैं। सबसे बड़ी खासियत तो यही है कि इस मंदिर में भगवान राम को भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर पूजा जाता है।

यहां परंपरा है कि मंदिर के पट खुलते ही सेना के जवान उन्हें सलामी देते हैं। यह मंदिर एक समय में बुंदेलखंड की राजधानी कहे जाने वाले ओरछा में है। घने जंगलों और प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर है।

मंदिर से जुड़ी कहानी

कहते हैं कि ओरछा की रानी रानीकुंवारी भगवान राम की बड़ी भक्त थीं और राजा भगवान कृष्ण के भक्त थे। राजा रानी को हमेशा वृंदावन ले जाना चाहते थे मगर वह हमेशा अयोध्या जाती थीं। एक दिन मजाक में राजा ने रानी को बोला कि तुम इतनी बड़ी भक्त हो तो अपने भगवान राम को यहां ले आओ। रानी ने राजा के मजाक को गंभीरता से लिया और अयोध्या से भगवान राम को यहां लाने की ठान ली।

इसके बाद रानी ने ओरछा में अपने किले के सामने ही मंदिर का निर्माण कराया और फिर अयोध्या जा कर सरयू नदी के तट पर बैठ कर तपस्या करने लगी। बहुत दिन बीत गए मगर भगवान राम ने उन्हें दर्शन नहीं दिए। इसके बाद रानी ने थक कर अपने प्राण त्यागने की कोशिश की तब ही एक बच्चे के रूप में भगवान राम ने रानी को दर्शन दिए।

रानी ने जब भगवान राम से अपने साथ चलने को कहा तो उन्होंने रानी के आगे शर्त रखी कि कुछ भी हो जाए ओरछा में उन्हें राजा का स्थान चाहिए। रानी ने भगवान राम की बात मान ली और उन्हें अपने साथ ओरछा ले आई। तब से इस मंदिर में भगवान राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है। मान्यता है कि भगवान राम को ओरछा इतना पसंद है कि वह सुबह अयोध्या और शाम को ओरछा में रहते हैं।

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