थाली में क्‍यों नहीं परोसना चाहिये 3 रोटी, जान लीजिये कारण

कहते हैं कि जैसा खाओगे अन्‍न, वैसा बनेगा मन। यह कहावत भोजन की परंपरा को लेकर गढ़ी गई है। सनातन धर्म में भेाजन को लेकर एक और चर्चित मान्‍यता है कि थाली में एक साथ तीन रोटी नहीं परोसना चाहिये। इसे बहुत ही अनुचित और अशुभ माना गया है। लेकिन आखिर क्‍या वजह है कि तीन रोटियों को इस तरह से गलत माना गया है। चलिये जान लेते हैं कारण।

HIGHLIGHTS

  1. हिंदू धर्म में भोजन का संस्‍कार महत्‍वपूर्ण माना जाता है।
  2. इसकी मान्‍यता है कि थाली में 3 रोटी नहीं देना चाहिये।
  3. यह धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं माना गया है।

धर्म डेस्‍क, इंदौर। हिंदू धर्म में भोजन भी एक संस्‍कार माना गया है। भोजन बनाने, परोसने, ग्रहण करने और वितरित करने के सबके अपने तरीके हैं। ऐसा ही एक विषय है भोजन परोसना। अक्‍सर इस पर बात होती है कि थाली में भोजन कैसे परोसा जाना चाहिये और कितना परोसा जाना चाहिये। क्‍या आपको पता है कि थाली में एक साथ तीन रोटी परोसने को शुभ नहीं माना गया है। इसे लेकर कुछ कारण भी बताए गए हैं। आइये समझते हैं कि थाली में एक साथ तीन रोटी क्‍यों नहीं परोसी जाना चाहिये।

मृतक की थाली में रखी जाती हैं 3 रोटियां

तीन अंक को वैसे भी अशुभ माना जाता है। भोजन में इस अंक का उपयोग करना ठीक नहीं माना गया है। इसलिए थाली में एक बार में तीन रोटियों को परोसना अनुचित माना जाता है। जब किसी मृतक की तेरहवीं की जाती है तो उसके नाम जो थाली लगाई जाती है उसमें या तो तीन रोटियां रखी जाती हैं या तीन पूरी रखी जाती हैं। ऐसे में तीन रोटियों को मृतक की थाली माना गया है। यही कारण है कि सामान्‍य दिनों में भोजन करते समय किसी की भी थाली में एक साथ तीन रोटियां परोसने की मनाही है।

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तीन रोटियां ना परोसे जाने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अब इसी मान्‍यता को वैज्ञानिक नज़रिये से भी देख लेते हैं। जहां तक चिकित्‍सा शास्‍त्र की बात है, यह माना गया है कि एक बार में अधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिये। एक ही बार में तीन रोटियां देने से आहार की मात्रा बढ़ सकती है। इसकी बजाय एक आदमी को एक बार में एक कटोर दाल, एक कटोरी सब्‍जी, दो रोटी और थोड़े से चावल ही खाना चाहिये। इससे अधिक भेाजन करने पर व्‍याधियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।

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बढ़ जाते हैं विवाद

थाली में तीन रोटी परोस देने से जो इंसान भोजन करता है उसके मन में विवाद संबंधी विचार आने लगते हैं। उसका मन सही दिशा में नहीं सोच पाता। ऐसे में झगड़ों से बचने के लिए और नकारात्‍म्‍कता को दूर करने के लिए थाली में एक साथ तीन रोटी नहीं लेना चाहिये।

डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी

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