Janmashtami 2023: उज्‍जैन के सांदीपनि आश्रम से मिले महाभारतकालीन पुरा अवशेष, मूर्ति शिल्प में भी जीवंत कृष्णकाल"/>

Janmashtami 2023: उज्‍जैन के सांदीपनि आश्रम से मिले महाभारतकालीन पुरा अवशेष, मूर्ति शिल्प में भी जीवंत कृष्णकाल

Janmashtami 2023: सन 2020 से 2022 तक हुए खनन में मिली चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति।

HIGHLIGHTS

  1. सन 2020 से 2022 के बीच मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा गढ़कालिका क्षेत्र में खनन व सांदीपनि आश्रम का सर्वेक्षण किया गया।
  2. उज्जैन के मूर्ति शिल्प में भी कृष्ण काल जीवंत नजर आता है।
  3. खोदाई में विभाग को महाभारतकालीन पात्र परंपरा से संबंधित चित्रित धूसर मृदभांड के अवशेष प्राप्त हुए।

Janmashtami 2023: उज्जैन  धर्मशास्त्र व साहित्यिक प्रमाणों में तो भगवान श्रीकृष्ण के उज्जैन आने तथा सांदीपनि आश्रम में गुरुश्रेष्ठ सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने का उल्लेख मिलता है। अब पुराअवशेषों में भी सांदीपनि आश्रम के महाभारतकालीन होने के प्रमाण मिले हैं।

खनन और सर्वेक्षण में मिली जानकारी

पुरावदों के अनुसार सन 2020 से 2022 के बीच मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा गढ़कालिका क्षेत्र में किए खनन व सांदीपनि आश्रम के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। उज्जैन के मूर्ति शिल्प में भी कृष्ण काल जीवंत नजर आता है।

महाभारतकालीन पात्र परंपरा से संबंधित चित्रित धूसर मृदभांड के अवशेष मिले

शोध अधिकारी व खनन सहनिदेशक डा. ध्रुवेंद्र जोधा ने बताया कि मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा डा. रमेश यादव के निर्देशन में सन् 2020 से 2022 के बीच पुरातात्विक दल के साथ गढ़कालिका क्षेत्र में खनन कार्य किया गया था। इस खोदाई में विभाग को महाभारतकालीन पात्र परंपरा से संबंधित चित्रित धूसर मृदभांड के अवशेष प्राप्त हुए।

इसमें मटके, कटोरी, तस्तरी, छोटे उपयोगी बर्तन के अवशेष तथा लोह उपकरण शामिल हैं। सांदीपनि आश्रम में किए गए सर्वेक्षण के दौरान महाभारतकालीन पुराअवशेष प्राप्त हुए हैं। महाभारत काल में उज्जयिनी शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र थी। महाभारत में उल्लेख है कि अवंतिका में विंद व अनुविंद का प्रभावशाली राज्य स्थित था। इन्होंने महाभारत युद्ध में कौरव सेना की ओर से भाग लिया था।

मूर्ति शिल्प में श्रीकृष्ण जन्म

श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली उज्जैन में मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा शैव, शक्ति व कृष्ण पर आधारित त्रिवेणी संग्रहालय की स्थापना की गई है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर आधारित दो दुर्लभ प्रतिमाएं संरक्षित हैं। यह दोनों प्रतिमाएं 10वीं शताब्दी की कल्चुरीकाल की है।

रीवा से प्राप्त हुई कृष्ण जन्म की प्रतिमा में माता यशोदा को शेषशैया पर लेटे हुए दिखाया गया है। माता यशोदा के मस्तक पर सप्त सर्पफणों का आच्छादन है। नवजात श्रीकृष्ण को माता यशोदा दुलार करते हुए दृश्य होती हैं। पैरों की ओर सेविका मां यशोदा की सेवा करते हुए और ऊपर की ओर प्रहरीगणों को आयुद्ध के साथ खड़ग व गदा के साथ प्रदर्शित किया गया है। दूसरी प्रतिमा विश्वरूप की है, जो अष्टभुजि होकर महाभारत में कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिखाए गए विराट रूप की परिकल्पना पर आधारित है। यह प्रतिमा मुरैना से प्राप्त है।

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