25 मिलीसेकंड में गड़बड़ी का पता लगाएगा एआई ड्रोन, जोखिम भरी जगहों पर बड़े काम का होगा साबित
जिन जगहों और क्षेत्रों में इंसान का जाना संभव नहीं है। जहां जोखिम बहुत ज्यादा होता है, उन जगहों पर एआई ड्रोन बहुत काम का साबित होगा। यह रियल टाइम में हाईटेंशन वायर, भवनों और सड़कों जैसी संरचनाओं में दरारों और विसंगतियों का पता लगा सकता है। इंदौर आईआईटी के प्रोफेसर और शोधार्थियों ने इस ड्रोन को किया है तैयार।
HIGHLIGHTS
- सड़कों, बिजली लाइनों जैसे बुनियादी ढांचे के रखरखाव में मिलेगी मदद।
- रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसका बड़े पैमाने पर हो सकता है इस्तेमाल।
- यूएवी को एआई और मशीन लर्निंग से जोड़ती है इसकी आधुनिक प्रणाली।
इंदौर। दुर्गम स्थानों पर बनने वाली सड़क से लेकर पाइप लाइन में आने वाली गड़बड़ियों का अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर ने ऐसी अत्याधुनिक प्रणाली विकसित की है, जो मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) से जोड़ती है।
यह प्रणाली महज 25 मिली सेकंड में गड़बड़ी का पता लगाएगी। इससे उन स्थानों और क्षेत्रों में पहुंचा जा सकेगा, जहां मनुष्य का जाना संभव नहीं है। यह वास्तविक समय में हाईटेंशन वायर, भवनों और सड़कों जैसी संरचनाओं में दरारों और विसंगतियों का पता लगा सकती है।
पारंपरिक निरीक्षण विधियों के माध्यम से अक्सर इन समस्याओं का सटीक रूप से पता लगाना बहुत मुश्किल है। वहीं, इसकी प्रक्रिया भी काफी जटिल रहती है। यह रिसर्च प्रो. अभिरूप दत्ता, छात्र कुमार शेषांक शेखर और पीएचडी शोधार्थी हर्षा अविनाश तांती ने की है।
डिफेंस और स्पेस में भी हो सकता है इस्तेमाल
निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि इस शोधकार्य ने संरचनात्मक निरीक्षण और निगरानी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। विशेषज्ञों का काफी ध्यान आकर्षित किया है, जो निरीक्षण प्रौद्योगिकी को उन्नत करने में इसकी क्षमता को पहचानते हैं।
यह तकनीक सड़कों, बिजली लाइनों आदि जैसे बुनियादी ढांचे के रखरखाव और निगरानी कर सकेगी। रक्षा और अंतरिक्ष में इसके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो सकता है।
रियल टाइम में फैसले लेने में मिलेगी मदद
सुहास जोशी कहते हैं कि यूएवी उन्नत कैमरों और लिडार सेंसर से लैस हैं, जो एक साथ किसी भी पहचानी गई विसंगति के स्थान और आकार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। प्रमुख विशेषताओं यह है कि कंप्यूटिंग का उपयोग करके ड्रोन पर सीधे डाटा को प्रोसेस करने की क्षमता है, जिससे रियल टाइम में फैसले लेने में सहायता मिलती है।
रखरखाव और लागत में आएगी कमी
प्रो. दत्ता ने कहा कि सिस्टम ने उल्लेखनीय सटीकता दिखाई है। एनविडिया जेटसन जैसे उन्नत एआई एज डिवाइस का उपयोग करके केवल 25 मिलीसेकंड में दरारों का पता लगाने और उन्हें वर्गीकृत करने और डाटा को प्रोसेस करने में 98.7 प्रतिशत सफलता दर प्राप्त की है।
इस इनोवेशन से निरीक्षण करने के तरीके को बदलने की उम्मीद है, जिससे प्रक्रिया तेज, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय हो जाएगी। वे बताते हैं कि जोखिम के स्तर के आधार पर विसंगतियों को वर्गीकृत करने और उन्हें वास्तविक समय में ग्राउंड स्टेशन या निरीक्षण टीम को रिपोर्ट करने की सिस्टम की क्षमता है। यह सुविधा रखरखाव, मरम्मत से जुड़े समय और लागत को कम करती है।