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Health News : खाते ही उल्टी, बार-बार दस्त, कहीं क्षयरोग तो नहीं, हो जाएं सावधान

HIGHLIGHTS

  1. फेफड़ों की टीबी वाले मरीजों को खांसते समय संक्रमण फैलने से बचाव करना चाहिए।
  2. छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, कोलन, रेक्टम आदि में पेट की टीबी हो सकती है।
  3. उपचार समय से प्रारंभ कर दिया जाए तो इसका उपचार आसान हो जाता है।

Health News : खाना खाते ही उल्टी हो जाना, बार-बार दस्त होना, इसके साथ खून या मवाद आना, कब्ज की समस्या, अचानक वजन कम होना, भूख में कमी, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द आदि लक्षण टीबी के हो सकते हैं। इसलिए इन लक्षणों की अनदेखी नहीं करना चाहिए। पेट की टीबी आंत के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, कोलन, रेक्टम आदि में पेट की टीबी हो सकती है।

उपचार समय से प्रारंभ करें तो आसान हो जाता है

पेट की टीबी का उपचार समय से प्रारंभ कर दिया जाए तो इसका उपचार आसान हो जाता है। परंतु यह बीमारी आसानी से पकड़ में नहीं आती। तमाम ऐसे मरीज सामने आए जो चिकित्सक के पास तब पहुंचे जब टीबी के कारण आंतों को गंभीर नुकसान पहुंच चुका था। टीबी के कारण कुछ मरीजों की आंतों मेें घाव हो जाता है, जो कि चिंताजनक स्थिति होती है।

फेफड़ों की टीबी वाले मरीजों को खांसते समय संक्रमण फैलने से बचाव करना चाहिए

आमतौर पर लोग यही समझते हैं कि टीबी फेफड़ों में की बीमारी है। परंतु यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। इसलिए मुंह से खून आना, बार-बार खांसी, रात को बुखार आने तक टीबी के लक्षण सीमित नहीं हैं। ब्रेन, हड्डी, यूटेरस, ओवरी, स्पाइनल कार्ड, पेट की टीबी के मामले भी बढ़े हैं। फेफड़ों की टीबी वाले मरीजों को खांसते समय संक्रमण फैलने से बचाव करना चाहिए।

 
 

 

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